देश की जनता ने काले कानून को रद्द कर दिया है

 सीएए एवं एनआरसी के विरोध में विशाल सभा



 जयपुर।


देश की जनता ने नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को रद्द कर दिया है, केन्द्र सरकार चाहे इसे कितना ही लागू करना चाहे जनता ऐसा नहीं होने देगीये शब्द जमाअते इस्लामी हिन्द के प्रदेशाध्यक्ष मुहम्मद नाजिमुद्दीन ने कहे। वे एमडी रोड पर रामनिवास बाग से शांति मार्च शुरु होने से पहले आयोजित एक बड़ी जनसभा को सम्बोधित कर रहे थे। संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) तथा राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के विरूद्ध जन-आक्रोश को प्रकट करने के उद्देश्य से प्रदेश के अनेक धार्मिक एवं सामाजिक संगठनों द्वारा 'देश व संविधान बचाओ मोर्चा' के बेनर तले आयोजित विशाल विरोध सभा को अनेक नेताओं ने सम्बोधित किया। इस अवसर पर बोलते हुए सूचना का अधिकार आंदोलन की नेता श्रीमती अरुणा रॉय ने कहा कि हम यहां संविधान को बचाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। विधायक अमीन कागजी ने आश्वस्त किया कि राजस्थान में एनआरसी और सीएए को लागू नहीं होने दिया जाएगा। फोरम फोर डेमोक्रेसी एण्ड कम्यूनल एमिटी के प्रदेशाध्यक्ष सवाई सिंह ने कहा कि जो आजादी की लड़ाई के विरुद्ध थे आज वे केन्द्र में सत्ता में बैठे हैं और संविधान को तोड़ने मरोड़ने का काम कर रहे हैं। पीएफआई के प्रदेशाध्यक्ष मुहम्मद आसिफ ने कहा कि प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि यह कानून लोगों को समझ में नहीं आया, जबकि वास्तव में उन्हीं को यह समझ में नहीं आया कि इससे देश का कितना बड़ा अहित होने वाला है। वहदते इस्लामी हिन्द के प्रदेशाध्यक्ष मुहम्मद साजिद सहराई ने कहा कि फासिज्म को देश से निकालना होगा। शिया इमाम सय्यद नाजिश अकबर काजमी ने कहा कि यदि केन्द्र सरकार इस देश के लिए कछ करना चाहती है तो नौजवानों को रोजगार उपलब्ध कराए। तंजीमे मिल्लत के अध्यक्ष हाफिज मजर अली खान ने कहा कि अगर मुसलमानों की देश के लिए क़रबानी देखना चाहते हो तो इण्डिया गेट पर जाकर देखो जहां 95 हजार शहीदों के नाम लिखे हुए हैं उनमें से 63 हजार मुसलमानों के हैं। पीयूसीएल की जनरल सेक्रेटी सुश्री कविता श्रीवास्तव ने कहा कि सीएए तथा एनआरसी केवल मुसलमानों के ही नहीं सारे नागरिकों के खिलाफ है। अहले सुन्नत वल जमाअत के अध्यक्ष मफ्ती खालिद अय्यब मिस्बाही ने कहा कि केन्द्र की सरकार अत्याचारी है और अल्लाह अत्याचारियों को नेतृत्व प्रदान नहीं करता। मंत्री सालेह महम्मद और विधायक रफीक खान ने उपस्थित जनों को इतनी बड़ी संख्या में उपस्थित हो कर विरोध दर्ज कराने और शान्ति बनाए रखने के लिए मबारकबाद दी। मुफ्ती अख़लाक़ुर्रहमान ने कहा कि सरकार देश की जनता को बेवकूफ न समझेमफ्ती महम्मद शफीक और वकार अहमद ने मंच का संचालन किया। इस अवसर पर मुस्लिम मुसाफ़िर खाना के अध्यक्ष शब्बीर खान कारपेट, एपीसीआर के प्रदेशाध्यक्ष एडवोकेट पैकर फारूक, पूर्व महापौर ज्योति खण्डेलवाल, अहले सुन्नत वल जमाअत के हाजी मुहम्मद रफअत, अल-जामिअतुल आलिया के डायरेक्टर अनवर शाह, जामा मस्जिद के अध्यक्ष नईम क़रैशी. दलित मस्लिम एकता मंच के अध्यक्ष अब्दुल लतीफ आरको, पिंक सिटी हज वेल्फेयर एण्ड एजूकेशनल सोसाइटी के अध्यक्ष अब्दुल सलाम जोहर, मौलाना आजाद फउण्डेशन के अध्यक्ष हबीब गारनेट ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर भारतीय बौद्ध महासभा के अध्यक्ष टी.सी. राहल. मसीही शक्ति समिति के अध्यक्ष फादर विजय पॉल सिंह अम्बेडकराइट पार्टी ऑफ इण्डिया के प्रदेशाध्यक्ष डी.के. हिननिया, समग्र सेवा संघ के अनिल गोस्वामी, राजस्थान नागरिक मंच के अध्यक्ष आर.सी. शर्मा. भीम आर्मी के पदाधिकारी, बडी संख्या में वकील, समाज सेवी संस्थाओं के पदाधिकारी, महिलाएं पुरुष एवं बच्चे अहमद और दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष परवेज अरकम पब्लिक स्कूल) का। अवसर था कर दिया है २ मौजूद थे। एक अनुमान के अनुसार उपस्थित जनों की संख्या 3 लाख से भी अधिक थी। इस अवसर पर नईम रब्बानी द्वारा पढ़े गए प्रस्ताव में नागरिकता संशोधन कानून को देश के संविधान की मूल आत्मा की खुली अवहेलना बताते हुए कहा गया कि यह कानुन धर्म के आधार पर भेदभाव करने के रास्ते खोलता है। प्रस्ताव में कहा गया कि नागरिकता संशोधन कानून देश की सुरक्षा के लिए खतरा है और हम किसी भी कीमत पर देश की सुरक्षा से समझौता नहीं कर सकते इसलिए इसे तुरन्त प्रभाव से वापस लिया जाए। पूरे देश में लागू करना देश की जनता का अपमान है जिसके कारण हर नागरिक को साबित करना होगा कि वह देश का नागरिक है चाहे वह इसी देश में जन्मा हो और चाहे उसकी पीढ़ियाँ भी यहीं पैदा हुई हों। देश भर में नागरिकता संशोधन कानून व एनआरसी के विरोध में शान्तिपूर्ण प्रदर्शनों को कुचलने की निंदा करते हुए दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की भी मांग की गई। प्रस्ताव में मांग की गई कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और देश के अन्य क्षेत्रों के छात्रों पर पुलिस द्वारा किये गए बर्बर हमले और अन्य स्थानों पर स्थानीय पुलिस द्वारा की गई दमनात्क कार्रवाई की न्यायिक जाँच करके दोषी अधिकारियों के खिलाफ़ जाँच करके दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। प्रदर्शन पूरी तरह शन्तिपूर्ण रहा और सभा के समापन के बाद अधिकांश लोगों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा रामनिवास बाग से गांधी सर्कल तक आयोजित सर्वदलीय शान्ति मार्च में भी हिस्सा लिया।


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