नागरिकता संशोधन एक्ट 'काले कानन के खिलाफ मुसलमानों का ऐतिहासिक विरोध प्रदर्शन प्रधनमंत्री व गृहमंत्री का पुतला फूंका
प्रधनमंत्री व गृहमंत्री का पुतला फूंका
बारां।
शहर के मुस्लिम समाज की ओर से नागरिकता संशोधन एक्ट के विरोध में अंजुमन इत्तेहाद-ए-बाहमी की ओर से 'काले कानून' के खिलाफ निकाले गए जुलूस में ऐतिहासिक भीड़ देख कर सभी सन्न रह गए। शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद सभी मुस्लिम हाथों में तिरंगा, बेनर और तख्तियां लेकर अंजुमन चौराहे पर इकट्ठा हुए। तख्तियों पर सीएबी वापस लो, नफरत फैलाना बन्द करो, वी रिजेक्ट एनआरसी, धर्मिक बंटवारा नही चलेगा आदि के नारे लिखे हुए थे जिनको सभी मुस्लिम लगा रहे थे। यहाँ से रैली भाईजान के मकान, धर्मादा चौराहा, मेन मार्केट, प्रताप चौक, चारमूर्ति चौराहा होते हुए वापस प्रताप चौक पर सभा मे तब्दील हो गईजहाँ पर सभा को सम्बोधित करते हुए मौलाना अख्तर नदवी ने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है इसको आजाद कराने में हिन्दू- मुस्लिम दोनो ने अपनी जाने दी है। आजादी की जंग में दिल्ली से लाहौर तक मुसलमानों की लाशों के ढेर लगे हुए थे। ओर आज एक कट्टरपंथी सरकार संविधान के साथ छेड़छाड़ करके नागरिकता संशोधन एक्ट के जरिए मुसलमानों के साथ भेदभाव कर रही है। वही एसडीपीआई के राष्ट्रीय सचिव तस्लीम रहमानी ने कहा कि ये एक्ट संविधान की मूल भावना के खिलाफ है क्योंकि इसके बाद सरकार एनआरसी लागू करेगी और उसमें जो लोग पुराने डॉक्यूमेंट दिखा नही पाएंगे। उनको घुसपेटिया माना जाएगा। इस एक्ट के जरिए मुस्लिम को छोड़कर जो लोग नागरिकता साबित नही कर पाएंगे उनको देश की नागरिकता मिल जाएगी लेकिन मुस्लिम अगर जरूरी कागजात पेश नही कर सका तो उन्हें घुसपेटिया ही माना जाएगा और उनसे सभी अधिकार छीन लिए जाएंगे डिटेंशन केम्पों में रखा जाएगा। ये सरकार की दोगली राजनीति है। सभा को अंजुमन इत्तेहाद-ए-बाहमी के सदस्यों ने भी सम्बोधित किया और पुरजोर तरीके से इस काले कानून को जब तक वापस नही लिया जाएगा तब तक विरोध को जारी रखने व संविधान की रक्षा करने की अपील की। उन्होंने कहा कि इस बिल के जरिये देश को धर्म के आधार पर बांटने की कोशिश है। ये बिल भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन करता है और संविधान का भी उल्लंघन करता है ओर संविधान के आर्टिकल 14 का उल्लंघन है, जो सभी को बराबरी का अधिकार देता है। इसे तुरंत वापस लेना चाहिए ताकि भारत की एकता अखंडता को कायम रखा जा सके। इसके बाद अंजुमन इत्तेहाद-ए-बाहमी के जिम्मेदार लोगो ने राष्ट्रपति के नाम सीईओ बृजमोहन बैरवा को ज्ञापन सौंपा। इस दौरान कानून व्यवस्था को लेकर पुलिस व प्रशासन के साथ अतिरिक्त पुलिस बल मोजूद रहा। हिंदूवादी संगठनों ने स्टेज का किया विरोधः जुलूस का समापन प्रताप चौक पर होकर सभा में तब्दील होना था। इसके लिए वहाँ पर स्टेज लगाई गई थी जिसको लेकर हिंदूवादी संगठनों ने विरोध किया और बिना इजाजत स्टेज लगाने की बात कहकर हंगामा कर दिया। जिससे एक बार तो प्रशासन के हाथ पैर फूल गए क्योंकि लगभग दस हजार का हुजूम जुलूस के रूप में रवाना हो चुका था। उन तक खबर पहुंचते ही लोग आग बबूला हो गए । लेकिन मुस्लिम समाज के जिम्मेदार लोगो ने अपनी सूझ बूझ से प्रशासन से बात कर मामले को खत्म किया। कमेटी के लोगो का कहना था की एक दिन पहले हुई मीटिंग में हमने स्टेज के लिए बोल दिया था लेकिन अचानक दूसरे दिन कुछ लोगो ने इसका विरोध किया। और प्रशासन ने भी हमसे बिना स्टेज के ही अपनी सभा करने का निवेदन किया। हम लड़ाई झगड़े नही चाहते थे हमारे लोग गुस्से में थे। लेकिन हमने सब्र से काम लेकर जुलूस को निकाला और ये जुलूस बारां के इतिहास का सबसे कामयाब जुलूस रहा जिसमे सभी मुसलमान अपना कारोबार बंद रखकर इसमें विरोध दर्ज कराने शामिल हुए। ये हुए शामिलः जुलूस में अंजुमन इत्तेहाद-ए बाहमी के सदर हाजी निजामुद्दीन खान, हाजी अब्दुल गनी,आबिद अंसारी,जाकिर मंसूरी,हाजी वसीम कुरैशी, माजिद सलीम,अब्दुल मतीन,अब्दुल शकूर चिश्ती,अशरफ देशवाली,रशीद भाई कबाड़ी सहित एसडीपीआई के राष्टीय सचिव तस्लीम रहमानी, एसडीपीआई के प्रदेशाध्यक्ष रिजवान खान, शहर काजी अब्दुल कय्यूम,मौलाना अख्तर नदवी,हाजी वहीद बर्तन वाले, उस्ताद फैय्याज शेख, एसडीपीआई के जिलाध्यक्ष अब्दुल अजीज, एडवोकेट अंसार इन्दोरी,इरफान अंसारी, साजिद सलीम, एडवोकेट खलील खान गौरी, इफ्तिखार अहमद बब्लू, रहीम भाई गोश्त वाले, डॉक्टर हाजी अब्दुल रशीद, पार्षद मोहम्मद अशफाक शाहिद कुंडी, पार्षद अखलाक अंसारी, पार्षद नियाज़ अहमद, उमर वेल्डर,मुफ़्ती उमर , मौलाना इम्तियाज, मौलाना वसीम अख्तर,शाहिद दुर्रानी,सलाम कादरी, एहतशामुद्दीन सिद्दीकी, अब्दुल हक हक्का भाई, अजीज अंसारी, सलीम भाई शटर,सिद्दीक भाई कपड़े वाले,हाजी मुश्ताक अहमद कोहिनूर हाजी जमील अंसारी, फकीर मोहम्मद सहित शहर के हजारों मुस्लिम शामिल हुए।