देश में आतंकी घटनाओं के पीछे कौन?.
जम्मू कश्मीर हाईवे पर डीएसपी देवेन्द्र सिंह को दो आतंकवादियों के साथ कार में पकड़ा गया। देवेंद्रसिंह इन दोनों आतंकियों को किसी मिशन को अंजाम देने के लिए भेजना चाहते थे। माना यह जा रहा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव को प्रभावित करने की साजिश थी। देवेंद्रसिंह का नाम 2001 में संसद भवन पर हमले को लेकर पहले भी आ चुका है। अफजल गुरु ने देवेंद्रसिंह को संसद की घटना को मुख्य साजिशकर्ता बताया था। अफजल गुरु को संसद हमले का मुख्य आरोपी मानकर फांसी की सजा दे दी गई थी। अफजल गुरु ने देवेंद्र सिंह के बारे में जो बाते बताई थी उनकी जांच नहीं की गई। जांच क्यों नहीं की गई, जान-बूझकर घटना की तह में क्यों नहीं जाया गया?
देश में ऐसी घटनाएं और भी हुई थी, ज्यादातर में टारगेट बनाकर दोषी ठहरा दिया गया। यह सिलसिला अब भी जारी है। मुंबई का ताज होटल हमला, अजमेर दरगाह बम विस्फोट, हैदराबाद बम विस्फोट, मालेगांव बम विस्फोट, अक्षर मंदिर और बटला हाउस, पुलवामा की घटना आदि घटनाओं की जांच में टारगेट पहले फिक्स कर लिए गए। घटनाओं को देश में ऐसे पेश किया गया कि यह सभी घटनाएं एक समुदाय के लोगों ने की है। इन घटनाओं में जब भी ऐसे लोगों के नाम आए या तो उन्हें छिपा दिया गया या फिर जांच अधिकारी को बदल दिया गया। कर्नल राजपुरोहित, असीमानंद, देवेंद्र सिंह, सांसद प्रज्ञा ठाकुर, ऐसे ही कुछ नाम है जो संदिग्धों की सूची में है। जांच एजेंसियों ने भी इनको बचाने में मदद की। कोर्ट में प्रूफ कमजोर करके पेश किए गए। अब देवेंद्रसिंह की गतिविधियों की जांच एनआईए से करवाई जाएगी। एनआईए ने पहले जितने भी संदिग्धों की जांच पड़ताल की है, यदि वह मुस्लिम नहीं है, तो उसे क्लीन चिट देने की कोशिश की। एनआईए अब भरोसे की जांच एजेंसी नहीं रही, वह सरकार की मंशा के अनुसार काम करने लगी है। सच्चाई जानने के लिए ऐसी जांच एजेंसी की जरूरत है जो दूध का दूध पानी का पानी कर सके। देश की जनता के सामने सच्चाई नहीं लाई जा रही है। घटनाएं करवाता कोई और है और नाम किसी का आता है। फिर भी देश की जागरूक जनता सच्चाई समझने लगी है।
पुलवामा की घटना ने देश का राजनीतिक परिदृश्य बदल दिया था। ज्यादातर घटनाओ से एक राजनीतिक पार्टी को फायदा मिला। हर घटना को देश में नफरत फैलाने में काम लिया गया. धवीकरण की कोशिश की गई। यदि देवेंद्र सिंह दिल्ली में विस्फोट या कोई बड़ी घटना अंजाम दे देता और किसी मुस्लिम का नाम जुड़ जाता तो क्या स्थिति होती। दिल्ली में केजरीवाल की पार्टी चुनाव हार जाती। सैकड़ों मुस्लिम डॉक्टर्स, इंजिनियर, पत्रकारों को घटना के आरोप में उठाकर जेलों में डाला जाता। पूरी मुस्लिम कौम को आतंकवाद से जोड़ दिया जाता। अब भी आतंकी देवेंद्र सिंह की गतिविधियों को छुपाने की कोशिश की जा रही है। देश को कहां ले जाया जा रहा है। कुर्सी के लालच में कुछ भी किया जा रहा है। देश को बचाने के लिए सभी घटनाओं की जो आतंक से जुड़ी हुई, की जांच होनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो यह देश के लिए दुर्भाग्य की बात होगी। -सम्पादक