हम हंगामा नहीं कर रहे संविधान को बचाने के लिये संघर्ष कर रहे हैं-आयशा रैना
जयपुर।
जयपुर के अल्बर्ट हॉल पर शनिवार को महिलाओं की ओर से सीएए, एनआरसी व एनपीआर के विरोध में आयोजित सभा में भारी संख्या में महिलाओं ने भाग लिया। महिलाएं अपने हाथों में तख्तियां लिए हुए थीं जिन पर सीएए को रद्द करने तथा एनआरसी व एनपीआर को लागू न करने की मांग वाले नारे लिखे थे। सभा को संबोधित करते हुए जामिया मिल्लिया इस्लामिया की छात्रा तथा छात्र संघर्ष की नेता आयशा रैना ने कहा कि मौजूदा सरकार ने सत्ता में आते समय संविधान की शपथ ली थी, मनु स्मृति की नहीं अत: उसे संविधान के अनुसार देश को चलाना चाहिये। उन्होंने कहा कि आज यहाँ जयपुर की महिलाएं हंगामा करने के लिए नहीं बल्कि संविधान की रक्षा करने के लिये जमा हुई हैं और हमारी लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक कि सरकार इन काले कानूनों को वापस सीएएविरोधी सवाई सिंह को वापस नहीं ले लेती। सीएए, एनआरसी व एनपीआर विरोधी जन-आन्दोलन के संयोजक सवाई सिंह ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि जब तक यह संविधन विरोधी, जनविरोधी काला कानून रद्द नहीं होता तब तक यह संघर्ष जारी रहेगा
उन्होंने राजस्थान सरकार से मांग की कि वह भी केरल व पंजाब की तर्ज पर यह सुनिश्चित करे कि प्रदेश में यह कानून लागू नहीं किया जाएंगा तथा एनआरसी व एनपीआर को भी लागू न करे। इस अवसर पर जमाअते इस्लामी हिन्द की महिला प्रदेश सचिव रुबीना अबरार ने कहा कि सरकार की जन विरोधी नीतियों के कारण दुनिया भर में देश की छवि खराब हो रही है, जयपुर की महिलाएं अब जाग गई हैं और वे संविधान की रक्षा के लिए आखिरी दम तक संघर्ष करेंगी। राजस्थान विश्वविद्यालय की छात्र संघ अध्यक्ष पूजा वर्मा ने कहा कि देश के संविधान से खिलवाड़ करने वालों को सबक सिखाना चाहिये, इस लड़ाई में राजस्थान विवि छात्र संघ साथ खड़ा है। एसोसिएशन फोर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स की महिला अध्यक्ष रुखसाना उस्मान ने कहा कि हम भारत में पैदा हुए हैं और किसी की ताकत नहीं कि कोई हमें यहाँ से निकाल सके।
शिया मुस्लिम समाज की प्रतिनिधि मैमूना नर्गिस ने कहा कि हमारा संविधान किसी एक धर्म के लिए नहीं है वह धर्म निरपेक्ष है, हम इस देश के नागरिक हैं यह साबित करने की हमें कोई ज़रूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि महिलाएं अगर ठान लें तो इतिहास बदल सकती हैं। सीपीआईएम की प्रदेश महासचिव सुमित्रा चोपड़ा ने कहा कि मौजूदा सरकार की देश की आजादी में कोई भूमिका नहीं रही, आज वे हम से हमारी पहचान पूछ रहे हैं यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। एसडीपीआई की यास्मीन फ़ारुका ने कहा कि जाहिलों से पढ़े लिखे लोग और छात्र बर्दाश्त नहीं हो रहे हैं. जो हमारे वोटों से सरकार बनाते हैं वे हमारी नागरिकता का सबूत मांग रहे हैं। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की छात्रा वर्दा बैग ने कहा कि इन कानूनों के माध्यम से सरकार मुसलमानों की पहचान समाप्त करना चाहती है, लेकिन हम इस देश में अपनी पहचान के साथ ही जाएगे।
उन्होंने कहा कि याद आवश्यकता पड़ा ता हम सभी नागरिक देश की राजधानी का घेराव करेंगे। एएमयू की एक और छात्रा मेहविश ने कहा कि सरकार हमसे इसलिये डरती है क्योंकि हम इनसे देश के मुद्दों पर सवाल पूछते हैं, हम सरकार को चुन सकते हैं तो उसे गिरा भी सकते हैं। वीमन इण्डिया मूवमेंट की मेहरुन्निसा खान ने कहा कि यदि केन्द्र सरकार अपनी हरकतों से बाज नहीं आई तो देश का हर हिस्सा शाहीन बाग बन जाएगा। सभा में छात्र-छात्राओं ने न्याय की मांग करने वाले गीत गाए तथा इंकलाब व आज़ादी के नारे भी लगाए। इस अवसर पर एनएफडब्ल्यूआई की निशा सिद्धू, एएमयू की छात्रा तज़ईन जुनैद, जमाते इस्लामी हिन्द की जयपुर संयोजिका नासिरा जुबैरी, सेवा निवृत्त युवा मामलात पूर्णिमा काटकर, मंजू लता, भीम आर्मी की महिला अध्यक्ष डॉ. नीलोफर खान, वहदते इस्लामी की सुमय्या सालिहा, जमाते इस्लामी हिन्द की प्रदेश महिला सहसंयोजिका शमा परवीन ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर उपस्थित प्रमख लोगों में महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष लाड कुमारी जैन व पवन सुराणा, जमाअते इस्लामी हिन्द के प्रदेशाध्यक्ष मुहम्मद नाजिमूद्दीन, राजस्थान नागरिक मंच की हेमलता कंसोटिया, दलित मुस्लिम एकता मंच के अध्यक्ष अबदुल लतीफ आरको, संवैधानिक अधिकार संगठन की सीमा कुमारी, एसडीपीआई के डॉ. शहाबुद्दीन, पीएफआई के प्रदेशाध्यक्ष मुहम्मद आसिफ, एपीसीआर के संयुक्त सचिव मुजम्मिल रिजवी, राजस्थान नागरिक मंच के आरसी शर्मा, अनिल गोस्वामी, बसंत हरियाणा, पवन देव, सामाजिक कार्यकर्ता हेमेंद्र गर्ग व धर्मेन्द्र अचरा आदि शामिल थे। मंच का संचालन जीआईओ की प्रदेशाध्यक्ष खान शाहीन और कार्यकारिणी सदस्य सबा नाज़ ने किया।