इतिहास के पन्नों से कुछ अहम डायलॉग
फिरोज खान
1. तुर्की के पूर्व तानाशाह राष्ट्रपति मुस्तुफा कमाल पाशा व तत्कालीन तुर्क खलीफा के नुमाइन्दे अब्दुल करीम के दरम्यान बातचीत के कुछ हिस्से।
- अब्दुल करीम : दामाद फरीद पाशा का मंत्री पद कायम रहना इसलिए जरूरी है कि इंग्लैंड उन्हीं की वजह से टर्की को मराआत यानि सुविधाएं दे पाएगा।
- कमाल पाशा ने जवाब दिया : इस खुश फहमी को दिल से निकाल दो। दुनिया ताकत से डरती है और दबती है, खुशामद से नहीं। आजिज़ी करने वाले ठोकरे खाते हैं और डंडा लेकर सामने आने वाले इज्जत पाते हैं। दुनिया का यही दस्तूर है।
2. ईमान सिर्फ तमन्नाओं का नाम नहीं है। ईमान सिर्फ तमन्नाओं और आरजुओं का नाम नहीं है, बल्कि वो है जो दिल में उतर जाए और अमल से उसकी तस्दीक हो।
3. रसूल सल्ल. ने फरमाया "वो मुसलमान जो लोगों से मिलजुलकर रहता है और उनकी ज्यादतियों पर सब्र करता है, उस मुसलमान से बेहतर है जो लोगों से मिलनाजुलना पसंद नहीं करता।''
4. कम्प्यूटर व इंटरनेट के दौर में भी मुसलमान टांग खिंचाई में लगे हैं। ___ जब मुल्क में कम्प्यूटर व इंटरनेट और इत्तिहाद व इत्तिफाक एवं तरक्की की बातें हो रही हैं, तब मुसलमान मसलकी व जमाअती असबियतों व तंग नज़री में ताज़ियेदारी व कव्वालियों में और आपस की टांग खिंचाई में लगे हुए हैं।