अल्लाह ही हर चीज़ का मालिक है


अल्लाह तआला ने इरशाद फरमाया “अल्लाह, नहीं है कोई माबूद मगर वो ज़िन्दा है, हमेशा क़ायम रहने वाला है, नहीं आती कभी उसको ऊंध और न नींद। इसी के वास्ते हैं जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है। कौन है जो सिफारिश कर सके उसके पास मगर उसकी इजाजत से वो जानता है जो कुछ उनके आगे है और जो कुछ उनके पीछे है उसके इल्म (ज्ञान) में से कोई कुछ नहीं जान सकता मगर वो जो चाहे, समा लिया है। उसकी कुर्सी (अर्श) ने आसमानों को और ज़मीन को और उसको नहीं थकाती उनकी निगहबानी (देखभाल) और वो बड़ी शान और बड़ी अज़मत वाला है। 
(सूरह बक़रह) अल्लाह तआला की बड़ाई कुराने पाक की हर सूरत या यूं कहा जाए हर हरफ़ बयान करता है। यकीनन उसकी ज़ाते पाक में कोई भी शरीक नहीं है वो बे ऐब है पूरी कायनात पूरी दुनिया उसके सामने है। वो हर चीज़ से बाखबर है वो हमेशा जिन्दा रहने वाला है वो खुद भी क़ायम है और दूसरों को भी क़ायम रखने वाला है। अपने-अपने वुजूद (अस्तित्व) में सब उस मालिक के मोहताज हैं देखने में तो सब चीजें खुद बखुद चलती हुई और ज़िन्दा नज़र आती हैं लेकिन ऐसा नहीं है सबकी सब दुनिया उस अल्लाह के हुक्म से चल रही है। सूरज चांद अपने वक्त पर निकलते और डूबते हैं। कभी भी एक सैकण्ड की भी देर और मालिक जल्दी उसमें नहीं होती उनकी चाल में कभी कोई खराबी नहीं हो सकती है क्योंकि वो अल्लाह के कहने और उसके हुक्म पर अपना काम करते हैं। मकसद यह है कि दुनिया की हर चीज़ अल्लाह के हुक्म पर ही चलती हुई नज़र आती है।


           उसी के हुक्म से दुनिया में कभी ज़लजलें आते हैं, कभी सुनामी, कभी तूफान आते हैं, कभी बादल फट जाते हैं, कभी ज़मीन धंस जाती है, कभी तेज बारिश होती है, कभी तेज़ गरमी पड़ती है, कभी तेज सर्दी होती है, कभी सूखा (अकाल) पड़ता है, कभी ओले पड़ते हैं। यह सब अल्लाह का हुक्म ही है जो हम अलग-अलग मौसमों में देखते हैं। लेकिन हदीसे पाक का मफहूम है कि जो बुराइयां या अच्छाइयां हम पर आती हैं जो तकलीफें हम पर गुजरती हैं वो सब हमारे आमाल (कर्मों) का नतीजा होती है। अच्छे और नेक आमाल का फल अच्छा नसीब होता है और बुरे का नतीजा बुरा होता है। हर दौर में तरक्की करने वालों का ज़माना रहा है। अपनी तहजीब (सभ्यता और संस्कृति) के हिसाब से तरक्की हासिल की जो हमें किताबों के ज़रिए मालूम होती है। तरक्की __ हासिल करने के बाद इंसान में घमंड व गुरुर आ जाता है और वो दुनिया को अपने तरीके से चलाने की नाकाम कोशिश करता है। फिरऔन इसकी एक मिसाल है मगर उसका अंजाम भी इंसान व दुनिया के लिए एक सबक है। वो भी ताकत में आज है की ताकतें जो बेहद बढ़ी हुई हैं कुछ नहीं थीं।


            ताक़त, दौलत का नशा या जो आज के फिरऔन बने हुए हैं और अल्लाह की ताकत व कुदरत को भूले बैठे हैं लेकिन ज़रा गौर करने का मक़ाम है। अल्लाह का कहर जब आफत बनकर उतरता है वो बड़े से बड़े फिरऔन को मिट्टी के ढेर में बदल देता है। कुछ दिनों पहले के हालात सबके सामने हैं। जलजले और सैलाब ने बड़े-बड़े मुल्कों में कैसी तबाही मचाई यह सब जानते हैं मगर अब भी मानते नहीं है कि वो अल्लाह है जो सब कुछ करने वाला है। हर चीज़ पर उसकी ही हुकूमत (सरकार) है। अल्लाह की कुर्सी यानि अर्शे आज़म पर अल्लाह जलवा फरमा है। अल्लाह का कोई जिस्म है न कोई जिस्म के हिस्से हैं वो इससे पाक साफ़ है न उसकी कोई शक्ल है न जिस्म वो अपनी निराली शान से अपनी कुर्सी पर जलवा फरमा होता है।


हदीस शरीफ़ में आता है कि अल्लाह की कुर्सी इतनी अजीम इतनी शान वाली इतनी बड़ी है कि अगर सातों जमीनों की लम्बाई चौड़ाई को नापा जाए तो कुर्सी के मुकाबले उसकी पैमाइश ऐसी नज़र आएगी जैसे एक बड़े जंगल में एक छल्ला (छोटी सी अंगूठी) को डाल दिया जाए। इसलिए हमें चाहिए कि अल्लाह पाक की शान व अजमत बयान करते हुए उसकी बताई राह पर चलते हुए अपनी राहों को आसान बनाएं।


Popular posts from this blog

इस्लामिक तारीख़ के नायक : पहले खलीफा हज़रत अबू बकर सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु अन्हु

दुआ के कबूल होने का वक्त और जगह

तिजारत में बरकत है