धरना स्थल पर 40 गांवों के ग्रामीणों ने भरी हुंकार, बोले ट्रेन रूकवाकर ही लेंगे दम ।
रतनशहर में 18 दिनों से जारी है धरना
इस्लामपुर।
रतनशहर रेलवे स्टेशन पर कोटा-हिसार व दिल्ली-सराय रोहिल्ला सहित एक्सप्रेस ट्रेनों के ठहराव के लिए 40 गांवों के ग्रामीणों की ओर से दिया जा रहा अनिश्चिकालीन धरना 18 वें दिन भी जारी रहा। धरना स्थल पर ग्रामीण आठवें दिन भी क्रमिक भूख हड़ताल पर रहे। रविवार को धरना स्थल पर पूर्व छात्रा संघ अध्यक्ष बबली सैनी व कृष्णा सैनी बैठी। दोपहर को धरना स्थल पर 40 गांवों के ग्रामीणों की एक विशाल जनसभा हुई।
सभा को उपजिला प्रमुख बनवारीलाल सैनी, पूर्व विधायक श्रवण कुमार, किसान नेता राजेंद्र फौजी, यशवर्द्धनसिंह शेखावत, खलील बुडाना, इंद्राज सैनी, पूर्व सरंपच बरकत अली, आमीन मनियार, धर्मसिंह झाझड़िया, हीरालाल श्योराण, शीशराम कॉमरेड, माखर सरपंच बंटेश देवी व रविंद्र पायल ने संबोधित किया। मीटर गेज के समय भी ठहरती थी एक्सप्रेस ट्रेनः वक्ताओं ने कहा कि आजादी के समय से ही यहां सभी ट्रेनों का ठहराव रहा है। मालगाड़ी के रैक साहब भी यहां आकर ठहरते थे लेकिन ब्रॉडगेज के बाद रेलवे स्टेशन रतनशहर की उपेक्षा की जा रही है। ग्रामीणों ने कहा कि पहले इस स्टेशन पर एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव होता था मगर आमान परिवर्तन के बाद ठहराव बंद कर दिया गया है जो यहां के लोगों के साथ छलावा है। आमान परिवर्तन के बाद इस स्टेशन पर सुविधाएं बढ़ने की बजाय घटी है जो चिंता का विषय है। झुंझुनूं के बाद सर्वाधिक आय होने के बावजूद भी रेलवे विभाग यहां पर एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव नहीं कर रहा है जिससे ग्रामीणों में रोष है। रतनशहर रेलवे स्टेशन की रेवेन्यू का रिकॉर्ड देखा जाए तो यह स्टेशन जिले में दूसरे स्थान पर है।
साथ ही इस स्टेशन से महामाया मंदिर, कुआ धाम, चंद्रनाथ आश्रम, इज्जतुल्लाहशाह दरगाह, इरादतुल्लाहशाह दरगाह व महामाया मंदिर सहित अनेक बड़े-बड़े धार्मिक स्थल जुड़े हुए हैं और अनेक राज्यों से यहां पर श्रद्धालुओं और जायरीनों का आना जाना लगा रहता है। साथ ही शिक्षा नगरी कहे जाने वाले बगड़ कस्बे में भी विभिन्न राज्यों साहब के 808वे से विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने आते हैं। 40 गांवों से काफी संख्या में सैनिक भी देश के विभिन्न भागों में रहकर मातृभूमि की रक्षा कर रहे हैं। इस स्टेशन से रतनशहर, माखर, इस्लामपुर, जयपहाड़ी, कालीपहाड़ी, भड़ौंदा खुर्द, सुल्ताना, अमरपुरा, क्यामसर, किशोरपुरा, बगड़, खुडाना, बख्तावरपुरा, कासिमपुरा, लाम्बा, मुरोत, मुरोत का बास, चींचडोली व ढहर की ढाणी सहित लगभग 40 गांव लगते हैं। ऐसे में रतनशहर रेलवे स्टेशन की उपेक्षा करना यहां के लोगों के साथ खुला अन्याय है। उपजिला प्रमुख सैनी ने कहा कि यहां के ग्रामीणों की मांग जायज है और इस स्टेशन के इर्द-गिर्द देश सेवा कर रहे सैनिकों की आबादी है हम सब संघर्ष समिति के साथ हैं। ग्रामीणों ने कहा कि हम दो मार्च तक सांसद के जवाब का इंतजार करेंगे और इसके बाद आगे की रणनिति बनाएंगे। धरनार्थियों ने कहा कि हम किसी भी हाल में पीछे नहीं हटेंगे और ट्रेन रूकवाकर ही दम लेंगे। मांगें नहीं मानी गई तो आमरण अनशन भी करेंगे।