कमर का दर्द हो सकता आपके लिए घातक

                 आज की भागदौड़ वाले जीवन में कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जिसे कोई न कोई रोग न लगा हो। जैसे मधुमेह, किडनी रोग, नेत्र रोग, रक्तचाप, हृदय रोग, अजीर्ण, पाचनतंत्र आदिइसके अतिरिक्त अनेक ऐसे रोग हैं जिनका विवरण करना संभव नहीं है। कमर का दर्द एक बेचैन करने वाला दर्द (पीड़ा) है जो रह रह कर व्यक्ति को परेशान करता रहता हैपरन्तु हर आदमी या महिला इसको नजरअन्दाज़ करते रहते हैं। और कोई भी घरेलू इलाज करते रहते हैं। इस कारण ये दर्द धीरे धीरे गम्भीर रूप धारण कर लेता है। हमारे शरीर में हड्डियों (बोन्स) का होना बहुत लाभदायक है। बगैर इनके शरीर का तमाम सट्रक्चर बेकार होता है इसलिए बिना हड्डी के शरीर की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।



               ये हड्डियाँ हमारे शरीर को आकार और लन्स प्रदान करती हैमनुष्य के शरीर की सबसे प्रमुख हड्डी, रीढ़ की हड्डी होती है अधिकतर लोग राढ़ का हडा (स्पाईनल कार्ड) रोग से परेशान रहते हैं। ये एक आम समस्या मानी जाती है।


लगभग 80 प्रतिशत लोग इस समस्या से ग्रस्त देखे गए हैं। ये आपके लिए घातक परेशानी रीढ़ की हड्डी के कारण होती हैरीढ़ की हड्डी के ट्यूमर (एक प्रकार की गांठ) असामान्य कोशिकाओं के ढेर होते हैं जो रीढ़ की हड्डी को आवरित करने वाली सतह पर विकसित होते हैं। ये रीढ़ की हड्डी में अपेक्षाकृत बहुत ही कम पाए जाते हैं।


सामान्यता नियोप्लाज्म दो प्रकार के होते हैं।


बिनाईन- ( जो कैंसर ग्रस्त नहीं होते हैं)


मैलिग्नेंट- (जो कैंसर ग्रस्त होते हैं) बिनाईन ट्यूमर भले ही हड्डी के सामान्य ऊतकों ( टीशूज ) को खत्म करने वाले हों लेकिन वो दूसरे ऊतकों को प्रभावित करते रहते हैं। मैलइग्नेंट ट्यूमर रीढ़ की कोशिकाओं के अवयवों पर तो हमला करते ही हैं उसके साथ ही उनके अन्य अवयवों तक फैलने की आशंका रहती है। रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर हर आयु के लोगों को परेशान करता रहता है।


स्पाईनल ट्यूमर के लक्षण- स्पाईनल ट्यूमर के लक्षण कई तत्वों पर निर्भर करतें हैं। जैसे टयूमर रीढ़ की हड्डी में किस स्थान पर तेजी से बढ़ रहा है। ये शरीर में अन्य स्थानों पे घातक कितना फैल चुका है। रीढ़ की हड्डी और तंत्रिकाऔं पर उसका प्रभाव हुआ है या नहीं। रीढ़ का दर्द बेहद पीडादायक होता है। प्रगातिशील मासपेशियों की कमजोरी आंत्र या मूत्राशय पर नियंत्रण खोना आदि रोग पैदा हो जाते है शरीर की शक्ति क्षीण यानि कमजोर होने लगती है। जिसके कारण मनुष्य आधिक दुर्बल दिखाई देने लगता है। कई बार तो रोगी को कोई भारी वस्तु उठाने में बहुत जोर लगाना पड़ता है।सरवाईकल स्पेडोलाईटिस इसी कारण आम लोगों में पाया जाता है।


           मेरी मान्यता है कि रीढ़ की हड्डी के रोगियों को बहुत सावधानियाँ काम में लेनी चाहिये। मसलन- रोगी को सोते समय ऊचाँ तकिया(पिलो) नही लगाना चाहिए। स्पाईन के रोगियों को हलका मसाज एंव भाँप लेना चाहिये। यूनानी चिकित्सा में इलाज बित - तदबीर (रेजिमिनल थरपी) से अनेक रोगी फ़ायदा उठा रहे हैं, या फिर किसी कुशल फिजीयोथैरेपिस्ट से इलाज कराना जरूरी है-डॉ. (प्रो.) एस.ए. जैदी 'नश्तर'


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