मसलमान घर पर भी नमाज अदा कर सकते हैं- मुफ्ती जाकिर नोमानी


 जयपुर।


           सेहत व तन्दरूस्ती अल्लाह की दी हुई अहम नेअमत है, इसकी कद्र जरूरी है। बीमारी आजारी इलाज मुअलजा सुन्नत हैपरहेज करना वाजिब है। नुकसान देने वाली चीजों से बचना हर एक के लिए जरूरी है खासकर इन दिनों कोरोना वायरस ने बहुत से मुल्कों में पैर फैलाये हैं। इलाज एक्सपर्ट के डाक्टरों के मुताबिक ये एक बड़ी महामारी (बीमारी) है इससे दुनिया भर में बचने की कोशिशों की तरफ ध्यान दिलाया जा रहा है।


          एहतियाती कोशिशें इख्तियार करना शरीयते इस्लामी का भी तकाजा है। ताऊन जदाह (महामारी) के इलाके के अन्दर जाने से रोका गया है और अन्दर के लोगों को बाहर आने से मना किया गया है। इन हालात में मुनासिब है कि भीड़ के इलाकों से बचा जाए। मस्जिदों में मोटी जा-नमाजें, कालीनें वगैरह न बिछायी जाएं। हो सके तो फर्श पर नमाज अदा कर ली जाए।


       वुजू अपने अपने घरों से करके मस्जिद सकते हैं- मुफ्ती में आया जाए। मस्जिद के फर्श, वुजुखाना वगैरह की सफाई-सुथराई बढ़ा दी जाये । फर्ज नमाज से पहले और बाद की सन्नतें घरों में अदा की जाएं। वैसे भी सुन्नतें व नफ्लें घरों में अदा करने का ज्यादा सवाब व फजीलत है। ऐसे हालात में मस्जिद व उसके आस पास में जरासीम (वायरस) को खत्म करने वाली दवाओं का छिड़काव किया जाए। जहाँ के मुकामी हालात की वजह से ज़्यादा एहतियात व परहेज करने के हुक्म जारी है वहां हाथ मिलाने (मुसाफा करने) से बचा जाए। कम उम्र व बहुत ज्यादा उम्र (यानी छोटे बच्चे और बुढ़े) व कमजोर लोग घर ही में नमाज अदा कर लें तो कोई हर्ज नहीं है (कमजोरी में मर्ज जल्द होता है)।


            जिन इलाकों या जगहों पर इस वबा (महामारी) का असर ज़्यादा है वहाँ नमाजे जुमाँ को मुख्तसर करके अदा की जाए यानी खुत्बा, किरात वगैरह । मस्जिदों में रखी टोपियाँ इस्तेमाल में न मुफ्ती जाकिर नोमानी लाई जाएं । मस्जिदों में तौलिए न रखें जाएं । अपने दस्ती रूमाल से हाथ साफ कर लिए जाएं। इस्लाम में छुआ छूत (ऊँच नीच) का कोई तस्व्वुर नहीं है।


         जिन लोगों को मर्ज है वो मस्जिद में आने से परहेज करें। आजान इस्लामी शेअर (पहचान) है और अल्लाह की रहमत के उतरने का जरिया है। घरों और ठीए ठिकानों में मस्जिद की आज़ान के एतबार पर नमाज अदा की जाए अगरचे जुमा के दिन जमाअत में शिरकत न हो सके तो जुहर की नमाज अपनी अदा कर ली जाए। जरूरी हिदायत व हुक्मों पर अमल किया जाए। इस वबा महामारी से हिफाजत के लिए तौबा, इस्तिग्फार और सदका खैरात व मसनून दुआओं का एहतमाम किया जाएं। परवर दिगारे आलम सब ही को इस वबा (महामारी) से निजात अता फरमाए।


           इन एहतियाती तरतीबों और कोशिशों के बावजूद दहशत में मुबतिला न हों और दूसरों को खौफजदा न करें। नोमानी 'अल्ला हुम्मा इन्नी आउजूबिका मिनल बरसे वल जुजामी व मिन सइय्यिल असकाम' तमबीह : ऊपर लिखी बातें वक्ती (आरजी) वबाई (महामारी) के हालात के मद्देनजर लिखी गई हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि मौजूदा हालात को देखते हुए मस्जिदों में अज़ान का एहतराम रखते हुए मस्जिदों में नमाज़ बा जमाअत जिसमें की इमाम, मोज्जिन, खादिम या चुनिंदा लोग जमात जारी रखें और जब तक इस वायरस की वजह से कानूनी पाबंदी जारी रहती है तो जो हज़रात घर पर नमाज़ की पाबंदी करेंगे वो गुनहगार नहीं होंगे।


     साथ ही मुफ्ती साहब ने बाजारों में बिना कारण भीड़ जमा करने, बाजारों में घूमने को मना किया। एहतियात, तकवा, परेहज़गारी, सफाई ये सब दीन का हिस्सा है। इन पर अमल करना ज़रूरी है। साथ ही जिन मस्जिदों में जुमा की नमाज़ में भीड़ होती है, वहां भीड़ कम करने को कहा।


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