नहीं रहे मौलाना फिदा रसूल
हजारों की भीड़ ने दुआओं के साथ किया सुपुर्द ए खाक, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने व्यक्त की गहरी संवेदना
जोधपुर।
जामा मस्जिद उदयमन्दिर जोधपुर के पेश इमाम एवं प्रसिद्ध इस्लामी धर्मगुरू सैय्यद मौलाना फिदा रसूल बरकाती अब इस दुनिया में नहीं रहे।
मंगलवार की देर रात महात्मा गांधी अस्पताल में उन्होंने अन्तिम सांस ली और बुधवार सुबह जालोरी गेट ईदगाह में हजारों लोगों ने उनके जनाजे की नमाज में शिरकत की और सिवांची गेट कब्रिस्तान में उन्हें सुपर्दे ए खाक किया गया।
] गौरतलब है कि सैय्यद फिदा रसूल अलीगढ से जोधपुर आये। वे यहां उदयमन्दिर स्थित जामा मस्जिद के 40 साल तक इमाम रहे। वे करीब 30 सालों तक सीरत कमेटी के सदर (अध्यक्ष) रहे। रूअयते हिलाल (चांद कमेटी), दारूल उलूम इस्हाकिया के सलाहकार व कन्वीनर (समन्वयक) भी रहे। वे जोधपुर में होने वाले तकरीबन सभी इस्लामी प्रोग्राम की सदारत (अध्यक्षता) करते रहे। हुजुर मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के सिलसिले के खानदान से तआल्लुक होने की वजह से आप आले रसूल (नबी के वंशज) भी थे।
इनके परिवार में पत्नी शरीफा, बेटे जिआउर्रसूल, शफाअत रसूल बेटे व चार पुत्रियां सहित भरा पूरा परिवार है। सय्यद फिदा रसूल साहब सारी जिन्दगी बच्चों को दीनी तालीम (धार्मिक शिक्षा) देते रहे। वे हमेशा लोगों के घरेलू मामले हो, आपसी नाराजगी या कोई कौमी असहमति सभी मामलों में इस्लाम की रोशनी में बैठक करके हमेशा समझाइश के साथ सुलह कराते। इस दुःख की घडी में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए पत्र द्वारा शोकाकुल परिवार को ढांढस बंधाया तथा मौलाना फिदा रसूल साहब की मगफिरत व जन्नतुल फिरदौश में आला मकाम की दुआ की। इनके इन्तकाल से जोधपुर सहित विशेषकर धार्मिक जगत में गम का माहौल है। जोधपुर में दीनी एज्यूकेशन व दीनी प्रोग्राम में सय्यद फिदा रसूल की ओर से किये गये कार्यों को भुलाया नहीं जा सकता है।