दुआ के कबूल होने का वक्त और जगह
1- लैलतुल-क़द्र (कद्र की रात): अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से रिवायत है कि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा से उस समय फरमाया जब उन्होंने कहाः मुझे बतलाएं कि यदि मुझे किसी रात के बारे में ज्ञात हो जाए कि वह कद्र की रात है, तो इसमें मैं क्या पढूँ?तो आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया तुम कहोः ऐ अल्लाह! निःसंदेह तू ही क्षमा करने वाला है, और तू क्षमा को पसंद करता है, अतः मुझे क्षमा (माफ़) कर दे।
2- रात के बीच में दुआ करनाः इससे अभिप्राय सेहरी का समय और अल्लाह तआला के उतरने का समय है, क्योंकि अल्लाह तआला अपने बन्दों पर अनुग्रह करते हुए उनकी आवश्यकताओं को पूरी करने और उनकी आपदाओं को दूर करने के लिए निचले आसमान पर उतरता है, और फरमाता है: "कौन है जो मुझे पुकारे तो उसकी दुआ स्वीकार करूं? कौन है जो मुझसे माँगे तो मैं उसे प्रदान करूँ? कौन है जो मुझसे अपने पापों की माफी मांगे, तो मैं उसे माफ कर दूं।" इसे बुखारी (हदीस संख्या: 1145) ने रिवायत किया है।
3- फ़र्ज़ नमाजों के बादः अबू उमामा रजियल्लाहु अन्हु की हदीस में है कि अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से पूछा गयाः कौन सी दुआ सबसे अधिक स्वीकार होती है? आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः (रात के अंतिम भाग में, और फर्ज नमाजों के आखिर में) इसे तिर्मिजी (हदीस संख्या: 3499) ने रिवायत किया है और अल्बानी ने सहीह तिर्मिजी में इस हदीस को हसन कहा है। यहाँ "नमाजों के आखिर" शब्द के बारे में मतभेद किया गया है कि क्या वह सलाम फेरने से पहले है या उसके बाद में? शैखुल इस्लाम इब्न तैमिय्या रहिमहुल्लाह और उनके शिष्य इजुल कैयिम रहिमहुल्लाह ने इस बात को चयन किया है कि यह सलाम फेरने से पहले है। इब्ने तैमिय्या रहिमहुल्लाह कहते हैं कि "हर चीज की पिछला हिस्सा, जानवर के पिछले हिस्से की तरह है।" जादुल-मआद (1/305)। शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह कहते हैं कि: जो दुआ नमाज के आखिर शब्द के साथ संबंधित होकर वर्णित है वह सलाम फेरने से पहले है। और जो जिक्र नमाज के आखिर शब्द के साथ संबंधित होकर वर्णित है, वह नमाज के बाद के अजकार हैं। क्योंकि अल्लाह तआला का फरमान है: फिर जब तुम नमाज अदा कर चुको तो उठते बैठते, और पहलू के बल अल्लाह का जिक्र करो। (सूरतुन्निसाः 103)
4- अजान और इकामत के बीच में दुआ करनाः नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से प्रमाणित है कि आप ने फरमायाः "अजान और इकामत के बीच दुआ अस्वीकार नहीं होती है।" इसे अबू दाऊद (हदीस संख्याः 521) और तिर्मिजी (हदीस संख्या: 212) ने रिवायत किया है, तथा सहीहुल जामे (हदीस संख्याः 2408)।
5- फर्ज नमाजों के लिए अज़ान के वक्त और जंग के वक्त: जैसा कि सहल बिन सअद रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः "दो चीजें अस्वीकार नहीं होती हैं, या बहुत ही कम अस्वीकार होती हैं, अजान के समयऔर लड़ाई के समय दुआ करना जब घमासान युद्ध जारी हो।" अबू दाऊद ने इसे रिवायत किया है, और यह रिवायत सही है। सहीहुल जामे (हदीस संख्याः 3079)।
6- बारिश होते वक्तः जैसा कि सहल बिन सअद रजियल्लाहु अन्हु की हदीस में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से वर्णित है कि आप ने फरमायाः "दो दुआएँ अस्वीकार नहीं होती हैं : अजान के समय की दुआ और बारिश के समय की दुआ।" इसे अबू दाऊद ने रिवायत किया है और अल्बानी ने इसे सहीहुल जामे (हदीस संख्या: 3078) में सहीह करार दिया है।
7- रात के किसी भी हिस्से में दुआ करनाः जैसा कि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान है: “रात के समय एक ऐसी घड़ी है जिसमें कोई भी मुसलमान लोक और परलोक के मामले से संबंधित कोई भलाई मांगे, तो उसे वह चीज दे दी जातीहै, और यह घड़ी हर रात होती है।" इसे मुस्लिम (हदीस संख्याः 757) ने रिवायत किया है।
8- जुमा के दिन कबूलियत की घड़ी: पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने जुमा के दिन का चर्चा करते हुए फरमायाः "इस दिन में एक ऐसी घड़ी है जिसमें कोई भी मुसलमान खड़े होकर नमाज़ पढ़ता है और अल्लाह तआला से कोई चीज़ मांगता है, तो अल्लाह तआला उसे वह चीज प्रदान कर देता है।" और नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अपने हाथ से इस घड़ी के बहुत कम होने का संकेत दिया। इसे बुखारी (हदीस संख्या: 935) और मुस्लिम (हदीस संख्या: 852) ने रिवायत किया है।
9- जमजम का पानी पीने के वक्त दुआ करनाः जाबिर रज़ियल्लाहु अन्हु नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से बयान करते हैं कि: "जमजम का पानी हर उस लक्ष्य के लिए है जिसके लिए उसे पिया जाए।" इसे इमाम अहमद ने रिवायत किया है और अल्बानी ने इसे "सहीहुल जामे" (हदीस संख्याः 5502) में सहीह करार दिया है।
10- सज्दे की हालत में दुआ: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान है: (बंदा अपने रब से सबसे अधिक करीब सज्दे की हालत में होता है, इसलिए सज्दे की हालत में खूब दुआ करो। इसे मुस्लिम (हदीस संख्या: 482) ने रिवायत किया है।
11- मुर्गे की आवाज़ सुनने के वक्तः नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान है: (जब तुम मुर्गे की आवाज़ सुनो तो अल्लाह से उसके अनुग्रह का प्रश्न करो, क्योंकि उसने फरिश्ते को देखा है। इसे बुखारी (हदीस संख्याः 2304) और मुस्लिम (हदीस संख्या: 2729) ने रिवायत किया है।
12- ‘ला इलाहा इल्ला अन्ता सुब्हानक, इन्नी कुन्तो मिनज्जालेमीन' पढ़कर दुआ मांगनाः नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से प्रमाणित है कि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः “मछली वाले (यानी यूनुस अलैहिस्सलाम) की दुआ जब उन्होंने मछली के पेट में रहते हुए दुआ की, यह थी: 'ला इलाहा इल्ला अन्ता सुब्हानक, इन्नी कुन्तो मिनज्जालेमीन' (तेरे अलावा कोई सच्चा पूज्य नहीं, तू पवित्र है निःसंदेह मैं ही जालिमों में से था), इन शब्दों के माध्यम से कोई भी मुसलमान किसी चीज के बारे में दुआ मांगे, तो अल्लाह तआला उसकी दुआ को स्वीकार करता है। इसे तिर्मिजी ने रिवायत किया है और अल्बानी रहिमहुल्लाह ने इसे "सहीहुल जामे" (हदीस संख्याः 3383) में सहीह करार दिया है। "और मछली वाला जब गुस्से की हालत में चल निकला, और यह समझा कि हम उस पर पकड़ नहीं करेंगे, फिर उसने अंधेरे में पुकारा, नि:संदेह तेरे अलावा कोई माबूद नहीं है, तू पवित्र है, मैं ही अत्याचारियों में से हूँ। फिर हमने उसकी दुआ स्वीकार की और शोक से नजात दी, और इसी तरह हम ईमान वालों को नजात दिया करते हैं।" (सूरतुल अंबियाः 87 88)। इस आयत में अल्लाह तआला ने यह शर्त स्वीकार किया है कि जो भी उसे पुकारेगा, वह उसकी दुआ स्वीकार करेगा, जैसे यूनुस अलैहिस्सलाम की दुआ स्वीकार की, और उसे उसी तरह मुक्ति प्रदान करेगा जैसे यूनुस अलैहिस्सलाम को नजात दी। और इस बात की दलील अल्लाह का यह कथन है: “और इसी तरह हम ईमान वालों को नजात दिया करते हैं।" अल-जामिओ लि- अहकामिल क़ुरआन (11/334)।
13- जब आदमी किसी परेशानी से घिरा होः (इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजेऊन, अल्लाहुम्मअ-जुर्नी फी मुसीबती व अखलिफ ली खैरन मिन्हा) के द्वारा दुआ करनाः चुनाँचे सहीह मुस्लिमः (हदीस संख्याः 918) में उम्मे सलमा रजियल्लाहु अन्हा से वर्णित है वह कहती हैं कि: मैं ने अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को फरमाते हुए सुनाः (जो भी मुसलमान किसी आपदा से पीड़ित होता है तो वह वही कहता है जिसका अल्लाह ने आदेश दिया है: (निश्चय ही हम अल्लाह के लिए हैं, और उसी की ओर लौटेंगे, हे अल्लाह! मुझे मेरी मुसीबत में इनाम (पुण्य) प्रदान कर, और मुझे इससे अच्छा उत्तराधिकार नसीब फरमा, तो अल्लाह तआला उसे उससे अच्छा उत्तराधिकार प्रदान कर देता है। इसे मुस्लिम (हदीस संख्या: 918) ने रिवायत किया है।
14- मरने वाले की रूह निकलने के बाद लोगों का दुआ करना: चुनाँचे एक हदीस में है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम, अबू सलमा रजियल्लाहु अन्हु के पास आए, जबकि उनकी निगाह फटी हुई थी, तो आप ने उनकी आँखें बंद कर दी और फरमायाः "जब प्राण निकाला जाता है, तो आँख उसका पीछा करती है।" यह सुनकर अबू सलमा रजियल्लाहु अन्हु के परिवार में से किसी ने चींख मारी, तो आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः “अपने लिए अच्छे शब्द ही बोलो, क्योंकि तुम जो भी कहते हो, फरिश्ते उस पर आमीन कहत हैं।" इसे मुस्लिम (हदीस संख्याः 2722) ने रिवायत किया है।
15- बीमार आदमी के पास दुआ करना: इमाम मुस्लिम ने अपनी सहीह (हदीस संख्याः 919) में उम्मे सलमा रजियल्लाहु अन्हा से रिवायत किया है कि उन्हों ने कहा कि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः जब तुम बीमार के पास जाओ तो अच्छी बात कहो, क्योंकि स्वर्गदूत तुम्हारी इन बातों पर आमीन कहते हैं .. उम्मे सलमा रजियल्लाहु अन्हा कहती हैं कि जब अबू सलमा मर गए तो मैं पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास आई और आपको खबर दी कि अबू सलमा मर गए हैं। तो आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने और जगह फरमायाः तुम यह कहोः “हे अल्लाह! मेरी और उसकी माफी फरमा और मुझे इससे अच्छा बदले में प्रदान कर।" उम्मे सलमा कहती हैं कि मैं ने यह शब्द कहे, तो अल्लाह तआला ने मुझे अबू सलमा से अच्छा पति प्रदान किया और वह मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हैं।
16- मज़लूम की दुआ: और हदीस में है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः (मजलूम के शाप से बचो, क्योंकि अल्लाह और मज़लूम के शाप के बीच कोई पर्दा नहीं होता है।) इसे बुखारी (हदीस संख्या: 469) और मुस्लिम (हदीस संख्या: 19) ने रिवायत किया है। तथा आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का यह भी फरमान है कि: (मजलूम की शाप स्वीकार होती है, चाहे वह पापी ही क्यों न हो, उसका पाप उसी के ऊपर है। इस हदीस को अहमद ने रिवायत किया है, देखें सहीहुल जामे (हदीस संख्या: 3382)
17- बाप का अपने बच्चों के हक में दुआ करना: अर्थात उसके लाभ के लिए दुआ करना, रोजेदार का अपने रोजे की हातल में दुआ करना, और यात्री की दुआः नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से प्रमाणित है कि आप ने फरमायाः “तीन प्रकार की दुआयें अस्वीकार नहीं होती हैं - पिता का अपने बच्चे के हित के लिए दुआ करना, रोजेदार की दुआ और यात्री की दुआ।" इस हदीस को बैहकी ने रिवायत किया है, और यह रिवायत सहीहुल जामे (हदीस संख्या: 2032) और सिलसिला सहीहा (हदीस संख्या: 1797) में मौजूद है।
18- बाप का अपने बच्चेके खिलाफ दुआ करना अर्थात उसके नुकसान के लिए दुआ करना (बददुआ देना): सहीह हदीस में है कि: "तीन दुआएं स्वीकृत हैं : मजलूम की दुआ, यात्री की दुआ और पिता का अपने बच्चों के लिए शाप।" इसे तिर्मिजी (हदीस संख्या: 1905) ने रिवायत किया है, तथा सहीह अदबुल मुफरद (हदीस संख्याः जगह 372)।
19- नेक औलाद की अपने माता बाप के लिए दुआ करनाः जैसा की सहीह मुस्लिम की हदीस (संख्याः 1631)में आया है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : "जब मनुष्य मर जाता है तो उसके कार्य का सिलसिला बंद हो जाता है सिवाय तीन चीजों केः जारी रहनेवाला सद्का, या नेक औलाद जो उसके लिए दुआ करे या वह ज्ञान जिससे लोग लाभान्वित हों।"
20- जुहर से पहले सूरज ढलने के बाद दुआ करनाः अब्दुल्लाह बिन साइब रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम सूरज ढलने के बाद जुहर से पहले चार रकअत नमाज़ अदा करते थे, और आप ने फरमायाः “यह एक ऐसी घड़ी है जिसमें आसमामन के द्वार खोले जाते हैं, और मैं चाहता हूँ कि उस समय मेरा कोई अच्छा कार्य ऊपर चढ़े।" इसे तिर्मिजी ने रिवायत किया है और उसकी इसनाद सहीह है, तथा तखीजुल मिशकात (1/337)।
21- रात के समय आँख खुलने पर दुआ करनाः और इस बारे में वर्णित दुआ को पढ़ना। जैसा कि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान है: “जो रात में बेदार हुआ, और उसने यह दुआ पढ़ी:?" अल्लाह के सिवा कोई वास्तविक माबूद नहीं, वह एकता और अकेला है, उसका कोई साझी नहीं, पूरा राज्य और सत्ता उसी के लिए है और उसी के लिए सब प्रशंसा है, और वह हर चीज़ पर सर्वशक्तिमाम है, सभी प्रशंसाए अल्लाह के लिए हैं, अल्लाह पवित्र है, अल्लाह के सिवा कोई सत्य माबूद नहीं, अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह की तौफीक़ के बिना किसी भलाई के करने की ताकत है न किसी बुराई से बचने का सामर्थय है, फिर वह कहे:हे अल्लाह! मुझे माफ कर दे, या कोई और दुआ मांगे तो उसकी दुआ स्वीकार होगी, और अगर वुजू करके नमाज़ पढ़े तो उसकी नमाज़ स्वीकार होगी। इसे बुखारी (हदीस संख्या: 1154) ने रिवायत किया है।