राजस्थान में खुली भाजपा की पोल


               राजस्थान में कांग्रेस की चुनी हुई सरकार को गिराकर भाजपा के समर्थन से सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की साजिश का अब पर्दाफाश हो चुका है। सरकार गिराने के लिए सचिन पायलट गुट के विधायकों को 30-35 करोड़ प्रति विधायक देने की चर्चा आम हो गई है। स्वर्गीय राजेश पायलट की राजनैतिक विरासत को संभाल रहे सचिन पायलट प्रदेश का मुख्यमंत्री बनना अपना अधिकार समझने लगे थे। सचिन मुख्यमंत्री बनने के लिए लम्बा इंतजार करना नहीं चाहते, क्योंकि सांसद बनना, केन्द्र में मंत्री बनना एवं प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनना सब आसानी से हुआ है। उसी तरह आसानी से पायलट प्रदेश का मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। भाजपा के खिलाफ वोट लेने वाले सचिन पायलट समझ बैठे कि जनता ने उनको समर्थन दिया है जबकि यह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की साफ-सुथरी छवि एवं भाजपा से नाराज जनता का जनाधार था।


                      गहलोत को प्रदेश की जनता पसंद करती है और उनके विकास कार्यों के कारण गरीब, मजदूर, किसानों को काफी लाभ हुआ है। कांग्रेस पार्टी में लम्बे राजनीतिक अनुभव एवं सूझ बूझ से राजनीति करने वाले अशोक गहलोत का लोहा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी मानते हैं। गुजरात विधानसभा चुनाव में मोदी एवं शाह की जोड़ी गहलोत से काफी परेशान हो गई थी और मुश्किल से भाजपा चुनाव जीत पाई थी। भाजपा अब गहलोत से हिसाब बराबर करना चाहती है। यही कारण है कि केन्द्रीय मंत्री के नेतृत्व में हजारों करोड़ों रुपए बागी विधायकों की खरीद फरोख्त पर खर्च किया जा रहा है।


                 भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व को डर है कि यदि गहलोत सरकार 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा करती है तो अगले 2024 के लोकसभा चुनाव में गहलोत की नीतियां भाजपा को बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है। यह भी माना जा रहा है कि आगामी चुनावों में भाजपा को हराने के लिए गहलोत के पास कई सटीक फॉर्मूले हैं। इसलिए राजनीति में कम अनुभवी, पदों के लालची और इंतजार नहीं करने वाले प्रदेश के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को फंसाया गया। लालच दिया गया मुख्यमंत्री पद का। सभी सुविधाएं दी गई सरकार गिराने के लिए, कांग्रेस पार्टी में विभाजन कराने के लिए। लेकिन भाजपा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लम्बे राजनीतिक अनुभव और कुशल राजनीति के सामने फिर गच्छा खा गई लगती है। जो दावा भाजपा नेताओं और सचिन पायलट गुट कर रहा था कि बस अब गहलोत सरकार गिरने वाली है, अब वे एसओजी और पुलिस के डर से छिपते फिर रहे हैं। भाजपा की पूरी साजिश की पोल खुल चुकी है।


जनता में भाजपा की आलोचना होने लगी है। जब देश कारोना जैसी महामारी से जूझ रहा है, ऐसे में केन्द्र की भाजपा सरकार को गहलोत सरकार की आर्थिक, चिकित्सकीय एवं अन्य सहायता करनी चाहिए थी लेकिन जनता की भलाई को ताक में रखते हुए गहलोत सरकार को गिराने की साजिश रच डाली। जिसको कभी उचित नहीं कहा जा सकता है। भाजपा और मुख्यमंत्री बनने के लिए उतावले सचिन पायलट की मिलीभगत की पोल जनता के सामने खुल गई है।


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