वकीलों को पांच हजार करोड़ का राहत पैकेज दिया जाए-शाहिद हसन


जयपुर।


                   बार कौंसिल ऑफ राजस्थान के चेयरमैन सय्यद शाहिद हसन ने कोरोना महामारी संकट के वक्त, हर वर्ग सहित वकीलों के कामकाज प्रभावित होने पर उन्हें केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा संविधान के अनुच्छेद 267 के आपात कोष से पांच हजार करोड़ रूपए का राहत पैकेज देने की मांग की है। उन्होंने कहा बार कौंसिल की तरफ से राजस्थन के छः हजार वकीलों को तीन करोड़ रूपये की राहत राशि वितरित की है जो अभी वर्तमान हालातों में ऊंट के मुंह में जीरा है। शाहिद हसन ने वर्तमान कोरोना संक्रमण संकट काल में जब लोग बेरोजगार हो रहे हैं, बीमारी से पीड़ित हैं, उनकी मृत्यु हो रही है, ऐसे वक्त में राजस्थान की जनता को राहत व्यवस्थाएं देने की जगह सियासी लोग, सरकार अस्थिर करने और सरकार बचाने की जुगत में लगे हैं, जो अफसोसनाक है, शाहिद हसन ने कहा कि वर्तमान में कोरोना संकट के वक्त, देशभर में डर, खौफ, बेरोजगारी और बीमारी का माहौल है। हर जगह अराजकता है, लोग डरे सहमे हैं, रोजगार के सभी साधन ठप्प हो गए हैं, लोगों को सरकार की मदद की जरूरत है। जो लोग आम जनता ने प्रतिनिधि के रूप में विधायक सांसद चुन कर भेजे हैं उन्हें उनकी मदद की जरूरत है।


               लेकिन अफ़सोस की बात है कि ऐसे सियासी लोग इस संकट की घडी में भी लोगों की मदद कर देश को बचाने के प्रयास करने की जगह चुनी हुई सरकारें गिराने की कोशिश में है जबकि चुनी हुई सरकारें खुद को बचाने के लिए बाड़ेबंदी की व्यवस्थाओं में लगी है। शाहिद हसन ने कहा कि यह कोरोना संक्रमण का वक्त सभी के साथ चलने, सभी को साथ लेकर चलने का है, यहाँ राजस्थान सहित पूरे देश में हर वर्ग को एक बड़े राहत पैकेज सफसोस की बात है कि ये बेटियों ने फरोख्त, आरोप प्रत्यारोप, अनुशंशिनता, सदस्यता भंग करने की नोटिसबाजी, न्यायालयों के विवादों में उलझ कर रह गए हैं। ऐसे में राजस्थान की जनता खुद को ठगा हुआ महसूस कर रही है।


            बार कौंसिल ऑफ राजस्थान के चेयरमेन सय्यद शाहीद हसन ने कहा कि राजस्थान में बार कॉसिल ऑफ इण्डिया के दिशा निर्देशों पर हर जिले में न्यूनतम आयु वर्ग के जूनियर वकील साथियों को पांच हजार रूपए की आर्थिक मदद दी गई है जो वर्तमान आर्थिक संकट के दौर में ऊंट के मुंह में जीरा है। शाहीद हसन ने कहा कि राजस्थान सरकार में जो लोग प्रतिपक्ष में है वह अपनी केंद्र सरकार के जरिये वकीलों के इस आर्थिक संकट में अधिकतम पैकेज दिलवाने के प्रयास करें, जबकि राजस्थान सरकार आपसी सर फुटव्वल छोड़े, राजधर्म निभाए और राजस्थान के वकीलों को उनकी संख्या आर्थिक स्थिति के अनुसार बड़ा आर्थिक पैकेज देकर वकीलों को आर्थिक संकट के दौर में संभाले। शाहिद हसन ने कहा कि वर्तमान में कई महीनों से अदालतों के कामकाज ठप्प है, भविष्य में भी अभी अदालतों के कामकाज सामान्य स्थिति में आने में समय लगेगा, ऐसे में मानवीय दृष्टिकोण से केंद्र और राजस्थान सरकार वकीलों को शाहिद हसन सर्वे करवाकर शीघ्र आर्थिक पैकेज की घोषणा करे, जिसकी अंतरिम किस्त सरकार तत्काल प्रभाव से जारी करे।


                 शाहिद हसन ने बताया कि बार कौंसिल ऑफ राजस्थान ने भी इस मामले में केंद्र सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए मांग की है, जिसमें प्रत्येक वकील को तत्काल, तीन लाख रूपये का ब्याज मुक्त ऋण और आवश्यक पैकेज देने की मांग उठाई गई है, जबकि दिल्ली सहित अन्य बार कौंसिल ने संविधान के अनुच्छेद 267 के संवैधानिक प्रावधान के तहत आपदा कोष से इस आपदा स्थिति में देशभर के वकीलों को पांच हजार करोड़ के आर्थिक मदद के पैकेज की जरूरत बताते हुए शीघ्र ही आर्थिक मदद प्रत्येक वकील साथी को देने की मांग की है।


             सय्यद शाहिद हसन ने संविधान के तहत चुनी सरकारों को असंवैधानिक तरीके से अस्थिर करने, उन्हें गिराने की व्यस्थाओं पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि अभी कोरोना संक्रमण संकट काल में देश वासियों को बचाना सरकारों की सियासी लोगों की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। लेकिन इस संकट काल में भी सरकारें गिराने, सरकारें बचाने की कोशिशों में जो नंगा खेल हो रहा है वह लोकतंत्र के लिए, देश के लिए, इस कोरोना संक्रमण नियंत्रण प्रबंधन, पुनर्वास व्यवस्था के लिए कतई ठीक नहीं है। उन्होंने कहा एक तरफ तो राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कोरोना संक्रमण नियंत्रण प्रबंधन के लिए उनकी पीठ थपथपाई जा रही है और दूसरी तरफ ऐसे वक्त पर उनके अधूरे पड़े कार्यों को पूरा करने से पहले ही अस्थिरता ने सरकार को लापरवाह बना दिया है, ऐसे हालातों ने राजस्थान, राजस्थान की जनता को विस्फोटक हालत में खड़ा कर दिया है जो किसी भी सूरत में बर्दाश्त योग्य नहीं है, निंदनीय है।


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