हमें तो अशोक गहलोत चाहिए
डॉ. सत्यनारायण सिंह
आई.ए.एस. (आर.)
प्रदेश के आम आदमी को अशोक गहलोत में एक ऐसा राजनेता दिखाई देता है जो राजस्थान को प्रत्येक कोण के साथ पंचायत स्तर तक समझता है। इस बार के सत्ता काल में आम राजस्थानी गहलोत की राजनीतिक क्षमता और उनकी प्रशासनिक क्षमता व सुशासन देने की घोषणा का वास्तविकरण सामने आने की अपेक्षा करता है। अशोक गहलोत अपने सहज व्यक्तित्व और गांधीवादी छवि के कारण प्रदेश के लोगों को अपने परिवार के ही एक सदस्य के रूप में दिखाई देते है। प्रदेश के लोग इस बात के प्रति आश्वस्त है कि अपने अभावों, जरूरतों और कठिनाईयों को उन तक पहुंचा सकते है। अशोक गहलोत में आम जनता को मेसा नेता दिखाई देता है जो तो अशोक किसी भी प्रकार के जाति, वर्ग, धर्म के भेदभाव से परे है और निष्पक्षता के साथ ईमानदारी और सच का ही समर्थन करते है। प्रदेश के आमजन को यह भी विश्वास है कि किसी भी आपदा के समय, प्रशासन के साथ ही गहलोत स्वयं भी लोगों की सीधी मदद के लिए पहुंच जाते है। गहलोत भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए पूरी क्षमता के साथ जुट जाते है। राज्य की जनता भी यह मानती है कि गहलोत गरीब व कमजोर वर्गो के विशेष पक्षधर है और उनके मुख्यमंत्रीकाल में, सरकार की योजनायें भी गरीबों और दलितों के हितों को ही प्रधानता दे रही है। महिला सुरक्षा के संबंध में प्रतिबद्ध रूप से सतर्क और सचेत रहते है। बच्चों के प्रति उनके भीतर अगाध ममता है। समाज में शिक्षा के प्रसार और राज्य के आम आदमी के स्वास्थ्य के प्रति वह हमेशा सजग रहते है। कानून व्यवस्था बनाये रखने की दृष्टि से, अपराधों की रोकथाम के लिए वह सख्ती से कदम उठाते हैं। शहरों के साथ कस्बों व शह नाममा पासा पा जलस्ता ग्रामीण क्षेत्रों की जरूरतों अशोक गहलोत को पूरा करने और वहां के विकास के लिए वह सक्रिय रहते है, साथ ही राज्य की ग्राम पंचायतों के स्तर तक भी लोगों से उनके सहज और व्यक्तिगत संबंध भी है। अशोक गहलोत को लोग राज्य का ऐसा जननेता मानते है जो सम्पूर्ण राजस्थान के भूगोल, इतिहास, सांस्कृतिक वैभव और क्षेत्रगत अभावों व जरूरतों की जानकारी रखते है और राज्य के प्रत्येक क्षेत्र और जिले को, समान विकास को गति देने की दृष्टि से ही राज्य के प्रशासन को गतिमान रखने में सक्षम है। यह जनता का दबाब था और पार्टी की सोच भी कि आलाकमान ने राज्य में नेतृत्व करने का निर्णय सीधे तौर पर गहलोत के पक्ष में किया। आम लोगों की प्रतिक्रिया रही कि गहलोत को ही मुख्यमंत्री बनाया जाना स्वाभाविक भी है, तर्कसंगत भी और राजनैतिक दृष्टि से उचित भी। गहलोत अपने पूर्व कार्यकालों में सुचारू अकाल प्रबन्धन, सक्षम प्रतिपक्षक प्रवचन, राज्य प्रशासकीय प्रबन्धन, राज्य गहलोत में रेल विकास, योजनाबद्ध नगर सौन्दर्यकरण, औद्योगिक विकास, रिफाइनरी, मैट्रो रेल, आमजन के लाभ की योजनायें, वृद्धावस्था पेंशन, जननी सुरक्षा योजना, महिला शिक्षा, जनकल्याणकारी निःशुल्क दवा योजना, निःशुल्क स्वास्थ्य जांच व्यवस्था, कृषि व पशुपालक सहायता योजनाओं के लिए जाने जाते हैं। भारतीय जनता पार्टी ने अपनी रणनीति के तहत प्रदेश की कांग्रेस सरकार को गिराने की योजना कांग्रेस पार्टी के कुछ असंतुष्टों को साथ लेकर बनाई। अशोक गहलोत ने फिलहाल यह मिथक तौड दिया कि भाजपा और उसके साम, दाम, दण्ड व भेद की सियासत को परास्त नहीं किया जा सकता। कोरोनाकाल का मजबूती से मुकाबला करने के समय उन्होंने नेतृत्व क्षमताकी शानदार बानगी पेश की है। पूरे विवाद में दबाब में नहीं आये, यहां तक कि जब उन पर मोदी सरकार की ओर से आयकर, सीबीआई, प्रवर्तन सपा निदेशालय जैसे हथकंडों का चाहिए इस्तेमाल किया गया। उल्टे भाजपा की स्थिति और हास्यास्पद हो गई। पहले जहां होटलों में रखे जाने के सवाल पर भाजपा ने गहलोत की खिल्ली उडाई, वहीं भाजपा को खुद अपने विधायकों को होटल में रखने की नौबत आ गई। जहां उपमुख्यमंत्री व प्रदेशाध्यक्ष के नेतृत्व में 22 विधायकों के मानेसर (बीजेपी शासित) होटल में रहने की स्थिति बनी वहीं पूरे विवाद में गहलोत को अपनी पार्टी में मजबूती दी है वे राष्ट्रीय स्तर पर एक चतुर, कुशल व दबंग लीडर के रूप में उभरे हैं। उन्होंने अपने विरोधियों को सियासत के गुर सीखने की नसीहत दी। वे कांग्रेस आलाकमान में पहले से भी मजबूत होकर उभरे है। कांग्रेस व कांग्रेस के बाहर उनकी चौतरफ सराहना हो रही है। उन्होंने खरीद फरोख्त की सियासत को करारा झटका दिया है। एक सौ दो सदस्यों ने ही नहीं 125 एमएलए ने उनको एक स्वर से अपना नेता मान लिया है। उन्होंने “भूलो, माफ करा, आगे बढ़ों” का संदेश देते हुए सभी को अचभित कर दिया।