नगर निगम में भ्रष्टाचार चरम पर



  • एसीबी नगर निगम पर निगरानी रखे तो बड़ी मछलियां फंसेंगी

  • चारदीवारी में समय पर नहीं उठता है कचरा 

  • सीवर लाइन ओवरफ्लो हो रही है 

  • गंदी नालियों की सफाई नहीं हो रही है हूपर आने का कोई निश्चित समय नहीं होता है 

  • ए.ई.एन. नीरज का कहना है कि सीवर लाइन की सफाई करने से सरकार ने मना कर दिया है 


एम. खान


जयपुर।


                    पिछले दिनों नगर निगम में एक इंजीनियर 25 हजार रूपये लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया। सफाई, सीवर लाइन, कचरा, परिवहन, सफाई कर्मचारियों की हाजिरी, काम करने वाले और काम नहीं करने वाले कर्मचारियों की फिजिकल वेरिफिकेशन में धांधली वार्डों में तैनात इंस्पेक्टर और जमादार की पोस्टिंग में धांधली की जांच की जाए और भ्रष्टाचार का पैसा किन किन हाथों में बंटता है कि गहन जांच की जाए तो निगम में बड़ी-बड़ी मछलियां जाल में फंसती नजर आएंगी।


             नगर निगम में कोई भी कर्मचारी अधिकारी काम नहीं करना चाहता ज्यादातर अवैध कमाई की फिराक में रहते हैं यदि निगम में काम होता है तो जयपुर सफाई की रेंक में नहीं पिछड़ता। सफाई, सीवर और गंदी गलियों की समस्या जयपुर की चारदीवारी क्षेत्र में ज्यादा दिखाई दे रही है। मैंने नगर निगम में तैनात ए.ई.एन. से फोन पर 2 दिन से धांधली ओवरफ्लो सीवर लाइन के बारे में बात की तो ए.ई.एन. का सीधा सा जवाब था कि सरकार ने सीवर चेम्बरों की सफाई नहीं करने के आदेश दिए हैं।


                        यानी मैनुअल रूप से सफाई नहीं हो सकती उनका कहना था कि नई मशीनें निगम ने खरीदी हैं उनको फील्ड में भेजने में अभी सप्ताह 10 दिन लगेंगे। इसी तरह वार्ड 72 (पुराना वार्ड) के इंस्पेक्टर विनोद ने पूछने पर बताया कि वार्ड में छह हूपर बीवीजी कंपनी और 6 हूपर नगर निगम के हैं। निगम ने ये 6 हूपर बीवीजी कंपनी को किराए पर दे रखे हैं। एक हूपर पर तीन आदमी होते हैं। जबकि फील्ड में (वार्ड 72) ना तो 12 हूपर हैं और ना ही एक ऊपर पर तीन आदमी हैं। हूपर कहीं भी समय पर कचरा उठाने नहीं आते हैं और मनमानी से कचरा उठाते हैं कई बार तो दो-तीन दिन तक कचरा नहीं उठता है।


             झाडू लगाने वाले कर्मचारी नाली साफ करने वाले कर्मचारियों की यदि फिज़िकल वेरिफिकेशन किया जाए तो वार्ड जमादार और इंस्पेक्टर की मिलीभगत सामने आ जाएगी। चारदीवारी क्षेत्र में गंदी गलियों की सफाई वार्ड का आगामी चुनाव लड़ने वाले अपने खर्चे से करवा रहे हैं जबकि यह जिम्मेदारी नगर निगम की बनती है।


               नगर निगम को शहरी नागरिकों की सुविधाएं उपलब्ध करवाने वाली संस्था माना जाता है लेकिन नगर निगम के कारण आए दिन परेशानी खड़ी हो रही है। सरकार या संबंधित मंत्री, निगम सीईओ और जिला कलेक्टर नगर निगम के ढर्रे को सुधारने का कोई प्रयास करते नजर नहीं आ रहे हैं। अब जनता को ही आगे आना होगा। जिस तरह भ्रष्ट ए.ई.एन. को रंगे हाथों पकड़वाया है इसी तरह दो चार और एसीबी के हाथ लग जाएंगे तो कुछ सुधार हो सकता है।


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