नाइत्तेफाकी की खारिजगी : इस्लामी मकसद
कुरान कहता है इंसानियत की शुरुआत एक इंसानी भाईचारे के रूप में हुई। समय-समय पर खुदा ने अपने पैगंबरों को एक जीवन प्रणाली देकर अपनी-अपनी उम्मतों के बीच भेजा ताकि उम्मतों में फैली नाइत्तेफाकी दूर हो और उन्हें भाईचारे के एक मजबूत ताल्लुकात में बांधा जाए। कुरान पाक का एक अहम पैगाम वहदत है इसलिए कुरान ऐलान करता है तुम सब मिलकर अल्लाह की रस्सी को मजबूती से थाम लो और फूट मत डालो।
कुरान हर दौर में सारी इंसानियत के लिए एक कारगर और पूरी जिंदगी बसर करने के लिए एक उम्दा सलीका है जो कायम व स्थिर है खुदा के मजहब के साथ निजी ताल्लुकात कायम करने का नाम नहीं है बल्कि यह एक वहदत का हिस्सा बनने का नाम है 'और फूट मत डालो यह एक इलाही आदेश है' जब हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर कुरान नाजिल हुआ तो इस समय बहुत सारे मजहब प्रचलित थे। कुरान में स्पष्ट तौर पर ये ऐलान किया कि इस्लाम का मकसद नाइत्तेफाकी को खारिज करना और एक उम्मत-ए-इंसानियत कायम करना है, वरना अल्लाह सारे इंसानों को उन जानवरों की तरह पैदा करता जिन्हें नेकी व भले-बुरे की समझ नहीं होती है। किसी समुदाय में फूट डालना इंसानियत के खिलाफ एक गुनाह है कुरान बार-बार उन लोगों पर अल्लाह के अज़ाब उतरने की बात करता है जो उम्मत में तफरका डालते हैं और इसे बढ़ावा देते हैं इसके उलट जो लोग इस सलीका ए जिंदगी की पैरवी करते हैं वो अल्लाह के मेहबूब बन्दे है। कुरान मुसलमानों को बुतों की इबादत करने से भी रोकता है जबकि किसी के मन में यह सवाल पैदा हो सकता है कि कोई मोमिन ऐसा क्यों करेगा। इसलिए कुरान यहां साफसाफ कहता है कि आपस में फूट डालना बुत परस्ती के बराबर है। कुरान ने इस्लाम के पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम को मशवरा दिया है कि आप उन लोगों से दूर रहे जो फूट पैदा करते हैं।