21 सितम्बर को विश्व शांति दिवस
21 सितम्बर के दिन को विश्व शान्ति दिवस के रूप में मनाता है। ग्लोबल पीस इंडेक्स के अनुसार विश्व के देशों की रैंकिंग की गई है। दनिया में शांति से जीवनयापन करने वाले देशों में आईसलैंड पहले एवं न्यूजीलैंड दूसरे स्थान पर है। जापान का 9वां, अमेरिका का 121वां, भारत का 139वां एवं पाकिस्तान का 152वां स्थान है। विश्व में शांति कायम करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ, विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय एनजीओ एवं समाजसेवक दिन और रात काम करते हैं। कई महापुरुषों को शांति के लिए नोबल पुरस्कार तक मिल चुके हैं और मिलते रहेंगेशांति के लिए जितने भी प्रयास किए गए हैं उसके उलट विश्व में अशांति का बोलबाला बढ़ता जा रहा है। विश्व के कई देशों में आपस में सीमाओं पर टकराव है तो कई देशों में आतंकी संगठन शांति के मिशन को पलीता लगा रहे हैं। कई देशों में आंतरिक रूप से धार्मिक, साम्प्रदायिक, जाति व्यवस्था, आर्थिक उत्पीडन एवं वर्णव्यवस्था के कारण आन्दोलन हो रहे हैंअमेरिका जैसे विकसित देश में काले रंग के लोगों पर अत्याचार किया जा रहा है। यहूदियों का देश इजरायल फिलिस्तीन के बच्चों, महिलाओं पर गोली और बम बरसाता दिखता है तो मिश्रसीरिया में आपसी गुटों में खून बहता रहता है।
पाकिस्तान में किसी को नहीं पता है कि वह सुबह घर से निकलकर शाम को घर लौट आएगा। भारत में नफरत फैलाने का हथियार राजनीति का अचूक शस्त्र बन गया है। यहां कानून का दुरुपयोग विरोधियों को परेशान करने में किया जा रहा है। वर्तमान में भारत, चीन एवं पाकिस्तान की सीमाओं पर फौजें आमने-सामने है और एक छोटी सी गलती युद्ध की आग भड़का सकती है। अमेरिका, रूस, फ्रांस, जर्मनी वितसित देश माने जाते हैं लेकिन अशांति फैलाने वाले देशों में इनका पहला नम्बर है। इन देशों की आमदनी का बड़ा भाग युद्धरत देशों को हथियार बेचकर प्राप्त होता है। विश्व में शांति पैदा जब तक नहीं हो सकती है जब हथियारों के निर्यात पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाता है। भारत अपनी आमदनी का बड़ा भाग हथियार खरीदने पर करता है। क्योंकि भारत की रक्षा तैयारी मजबूरी में करनी पड़ रही है। चीन और पाकिस्तान मिलकर भारत को कमजोर करना चाहते हैं। चीन ने कुछ दिन पहले ही भारत के कुछ भाग पर कब्जा कर लिया है और अब युद्ध की धमकी दे रहा है। भारत को अपने बचाव के लिए अमेरिका, रूस, फ्रांस एवं इजरायल से बड़ी तादाद में हथियार खरीदने पड़ रहे हैं। ऐसी स्थिति में विश्व शांति दिवस की अहमियत और बढ़ जाती है। जहां चारों तरफ युद्ध, मारकाट, लूटखसोट, विभिन्न आन्दोलन से अशांति हो रही है। वहां शांति की बात करना एक अच्छी पहल मानी जानी चाहिए। विश्व में हथियारों के निर्यात पर प्रतिबंध जरूरी हो गया है। संयुक्त राष्ट्र संघ यदि पहल करें तो अच्छे परिणाम आ सकते हैं।
हालांकि अमेरिका, रूस एवं चीन दुनिया की शांति के लिए बड़ी रुकावटें हैं। अमेरिका पहले भारत के खिलाफ पाकिस्तान को हथियार बेचता था अब चीन के खिलाफ भारत को हथियार बेच रहा है। अमेरिका चीन को युद्ध करने से रोक सकता है जबकि वह उसके मुकाबले के लिए भारत को हथियार बेचने की पहल कर रहा है। विश्व के ज्यादातर देश एवं यहां रहने वाले लोग शांति चाहते हैं लेकिन कोई उपयुक्त मंच से पहल नहीं हो पा रही है। फिर भी आशा रखनी होगी कि युद्ध एवं अशांति का दौर समाप्त होगा।