डिजिटल रंगभेद के कारण गरीब बच्चे हो रहे हैं शिकार
नई दिल्ली (एजेंसी)। देश में कोरोना महामारी की वजह से स्कूलकॉलेज बंद हैं और अक्टूबर तक स्कूल खुलने की कोई संभावना नजर नहीं आ रहीऐसे में बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए स्कूल ऑनलाईन पढ़ाई करवा रहे हैं। जिन बच्चों के पास महंगे मोबाईल गैजेट या लैपटॉप कंप्यूटर हैं वे तो ऑनलाईन शिक्षा का लाभ ले पा रहे हैं लेकिन जो छात्र गरीब हैं वे इससे महरूम हैं। दिल्ली उच्च न्यायालय ने जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए इसे डिजिटल रंगभेद का नाम दिया। न्यायालय ने सरकारी और प्राईवेट स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब ईडब्लूएस छात्रों को के कारण गरीब बच्चे गैजेट उपलब्ध कराने का आदेश सुनाया।
क्या है मामला?
उच्च न्यायालय ने गैर सरकारी संगठन जस्टिस फॉर ऑल की ओर से अधिवक्ता खगेश झा द्वारा दाखिल जनहित याचिका का निपटारा करते हए यह फैसला सुनाया है। याचिका में कहा गया था कि कोरोना महामारी के मद्देनजर ऑनलाईन शिक्षा आरंभ की गई है लेकिन लैपटॉप, आईफोन, स्मार्ट फोन नहीं होने की वजह से ईडब्लूएस समूह के हजारों छात्र शिक्षा के अधिकार से वंचित हो रहे हैं। सरकार इन छात्रों को गैजेट उपलब्ध करवाए। बच्चे हो रहे हैं शिकार जस्टिस मनमोहन और संजीव नरुला की पीठ ने कहा कि यदि कोई भी स्कूल खुद से ऑनलाईन कक्षा के जरिए बच्चों को शिक्षा मुहैया कराने का निर्णय लेता है, तो उन्हें यह सुनिश्चित कराना होगा कि ईडब्लूएस या वंचित समूह के छात्र बिना किसी भेदभाव के इसका लाभ उठा सकेंगे। पीठ ने कहा कि ऐसे में ऑनलाईन कक्षा संचालित करने वाले निजी स्कूल और केंद्रीय विद्यालयों को अपने ईडब्लूएस श्रेणी के छात्रों को ऑनलाईन कक्षा और गैजेट के लिए पैकेज देना होगा। ऐसा नहीं करना न सिर्फ भेदभाव होगा, बल्कि यह डिजिटल रंगभेद होगा।