हिंदुस्तान में है 1300 साल पुरानी मस्जिद जिसका रुख बेतुल मुकद्दस है!


                           हिन्दुस्तान के घोघा गांव, भावनगर, गुजरात में देश की सबसे पुरानी मस्जिद है जो कि दुनिया में मौजूद इकलौती मस्जिद हो सकती है जिसका रुख यरुशलम (बैतुल मुक़द्दस रूख) है। लगभग 1300 साल पुराना। 7वीं सदी की शुरुआत में गुजरात में पहले अरब व्यापारी उतरे और यहाँ एक मस्जिद को तामीर किया। ये वो वक़त था जब मक्का के बजाय किबला रुख बैतूल मुकद्दस (यरूशलेम) था। इस किबला का इस्तेमाल 610 से 623 सीई तक 13 वर्षों से अधिक समय तक किया जाता था। मदीना में मुहम्मद (स.) 622 आने के सत्रह महीने बाद - यह तारीख 11 फरवरी 624 के रूप में दी गई है - किब्ला मक्का में काबा की ओर बदला दी गई। यह मस्जिद, जिसे स्थानीय रूप से बरवाड़ा मस्जिद या जूनी मस्जिद के रूप में जाना जाता है, उस अवधि के दौरान बनाया गया था और यह भारत की सबसे पुरानी मस्जिद में से एक है। बाद में पैगंबर को अल्लाह से वही मिली तो किब्ला येरूशलम से बदलकर मक्का की तरफ कर दिया गया।


                                 गुजरात के भावनगर जिले का एक गांव है घोघा. इस गांव के बारवाड़ा मोहोल्ले में गुजरात कि या शायद भारत कि सबसे पुरानी मस्जिद अभी भी हयात है। स्थानीय प्रशासन कि लापरवाही कि वजह से मस्जिद का निर्माण अत्यंत जीर्ण अवस्था में है। मस्जिद के अंदर इतनी जगह है कि जंहा लगभग 25 लोग एक साथ नमाज पढ़ सकते हैं। इसके अलावा मस्जिद में 12 पिलर्स (खंभे) है जिस पर मस्जिद कि छत का निर्माण टिका हुआ है, छत के ऊपर गुंबज तथा मस्जिद के अंदर बाहर की दीवारे भी नकशीदार है और मस्जिद के किले कि मुख्य कमान पर अरबी में 'बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम' नक्श किया गया है। मस्जिद के पास में ही दो कबर मौजूद है हांलाकि मस्जिद का रुख बयतुल मुक़द्दस (जेरूसलम, इजरायल) की और है।


                        गौरतलब है कि इस्लामिक इतिहास के मुताबिक ई.स. 610 से 623 तक बयतुल मुकद्दस कि तरफ रुख करके नमाज पढ़ी जाती थी। फिर सन 624 से काबा कि और रुख करके नमाज पढ़ने की शुरुआत हुई। इससे ये साफ जाहिर होता है कि यह मस्जिद शायद 1300 साल से भी पहले तामीर की गई थी। ताज्जुब कि बात है कि गुजरात में इतनी पुरानी मस्जिद मौजूद है फिर न तो इस पर गुजरात सरकार का कोई ध्यान है और न ही देश के पुरातत्व विभाग का और ना देश के मुस्लिम संगठनों का।


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