इस्लाम का सुनहरा दौर
क्या आपको लगता है कि चेक कोई आज की ईजाद है? या आधुनिक बैंकिंग प्रणाली का एक नया उत्पाद है? अगर आपको ऐसा लगता है तो इस पर फिर से गौर करें। 9वीं सदी में खलीफा हारुन रशीद के जमाने में मुस्लिम व्यापारी बगदाद में अपने बैंक का चेक चीन के शहर कैंटन में कैश करा सकते थे। क्योंकि 'चेक' शब्द का स्रोत अरबी शब्द सक है। 10वीं सदी की शुरुआत में ही अली अब्बास अलमजूसी की किताब ने यूरोप में चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति पैदा कर दी थी। क्रिस्टोफर कोलंबस ने अपनी तारीखी यात्रा पर निकलने से पहले मुसलमानों के द्वारा तैयार किये गये नक्शों का अध्ययन किया था। सबसे पहले चुंबकीय कम्पास का उल्लेख एक फारसी मोहम्मद अलऔफी की कहानियों के संग्रह में मिलता है। खलीफा अलमामून ने 9वीं सदी में इंसानी इतिहास की सबसे पहली वेधशाला बनवाई। लगभग 300 साल पहले पश्चिमी देशों ने तुर्कियों से टीकाकरण के बारे में सीखा। हम कॉफी, घड़ी और शतरंज जैसी चीजों के बारे में बात करते हैं।
कॉफी दुनिया भर में पी जाती है। 1200 साल पहले खालिद नाम के एक अरब व्यापारी ने इथियोपिया के पहाड़ी हिस्से के ढलान पर मूल पदार्थों की खोज की थी। 13वीं सदी में अलजज़ारी ने पानी की घड़ी समेत कई घड़ियों का इजाद किया, जिसने हमे वकृत मालूम करने का तरीका सिखाया। लेकिन शतरंज का विचार कोई नई बात नहीं था, अरबों ने इसे पूर्णता प्रदान की और खिलाफते अब्बासिया के सुल्तानों ने इसे बहुत पसंद किया। और बाकी जो हम जानते हैं वो सब इतिहास का हिस्सा है। इन सभी तथ्यों का मुताला आप एक उम्दा किताब "1001 Inventions: Muslim Heritage in Our World में कर सकते हैं जिसका प्रकाशन पब्लिकेशन ऑफ दि फाउंडेशन फॉर साइंस टेक्नोलॉजी एंड सिविलाईजेशन ऑफ दि यूनाइटेड किंगडम "(publication of the Foundation for Science Technology and Civilisations of the United Kingdom)" ने किया है। इसके चीफ एडिटर प्रोफेसर सलीम टी. एस अलहसनी हैं और सहायक संपादक एलिजाबेथ वूडकोक और राबा सऊद हैं। मुसलमानों की खोजों से सम्बंधित ये एक शानदार किताब है। दूसरी किताबों के उलट ये एक फिकरी दरयाफ्त का सफर है। इस किताब में उन चीजों से लेकर जिनको हम आम तौर पर घरों, बाजारों, अस्पतालों और शहरों में देखते हैं, साथ ही इस दुनिया और कायनात के सभी मामलों तक को अपने में शामिल किया है।
इस किताब में दवाओं, खगोल विज्ञान, गणित और वास्तुकला जैसे जटिल विषयों से लेकर टूथब्रश, कैमरा, साउंड सिस्टम और तीन स्तरीय भोज और स्टाइल पर भी चर्चा की गयी है। इन अविष्कारों ने विभिन्न स्तरों पर मानव जीवन को प्रभावित किया, किसी के प्रभाव का क्षेत्र व्यापक था तो शायद किसी के प्रभाव का क्षेत्र सीमित था। अगर आप मोरक्को की उस मस्जिद के बारे में जानते हैं जो बाद में चलकर फेज स्थित युनिवर्सिटी में बदल गयी, तो आपको ये भी बता दें कि इसकी बुनियाद एक परहेजगार नौजवान महिला ने रखी थी जिसका नाम फातिमा अलफहरी था, आप जानते हैं कि इस्लाम शिक्षा और महिलाओं की भूमिका को महत्व देता है। हम जामिया अलअज़हर के शानदार इतिहास को जानते है जिसने हमें इब्ने अलहिशाम और इब्ने खुल्दून जैसे महान विद्वान दिए। इसके अलावा इन लोगों के बाद में आने वाले सुधारवादियों ने 19वीं सदी की शुरुआत में हमारी युवा पीढ़ियों को प्रभावित किया था। दुख की बात तो ये है कि इस दुनिया में मुसलमानों ने जो अपना योगदान दिया है उनके बारे में लोगों को बहुत कम जानकारी है। अरब देशों और यूरोप के मुस्लिम सुल्तानों के शानदार इतिहास ने ज्ञान और विद्वता की दुनिया में अपना जबरदस्त प्रभाव डाला है। जब इस्लामी ज्ञान और अविष्कारों का सिलसिला अपने चरम पर था उस समय यूरोपी 3 लोग अपने इतिहास के अंधकार युग में थे। ये ऐसा दौर था जब मुस्लिम विद्वान या तो यूनानी, चीनी और भारत जैसी दूसरी संस्कृतियों से सीख रहे थे या ज्ञान के दूसरे स्त्रोतों का अरबी भाषा में अनुवाद कर रहे थे या ऐसे शानदार विचार और अवधारणाएं प्रस्तुत कर रहे थे जिसने विद्वता की दुनिया को ही बदल डाला। इसलिए डॉक्टर महातिर मोहम्मद ने ये बात लिखी कि जब पूरी दुनिया पहले मिलेनियम का जश्न मना रही थी तो उस समय मुसलमान अपनी उपलब्धियों के शिखर पर थे। दुर्भाग्य की बात है कि एक हजार साल बाद मुसलमान पिछड़ेपन का शिकार है और कमजोर होकर हाशिए पर चले गए।
किसी ने इस किताब के लेखक को विद्वता की दुनिया में शानदार मुस्लिम परम्परा के खोये हुए ज्ञान के रिक्त स्थानों की पूर्ति करने वाला बताया। 9/11 की घटना ने दुनिया के मुसलमानों के योगदान के बारे में जो भी सम्मान और प्रशंसा की कल्पना बची हुई थी, सबको खत्म कर दिया। इस्लामोफ़ोबिया को बढ़ावा मिल रहा है। अब इस्लाम को एक ऐसा धर्म माना जाने लगा है जो कि मध्ययुगीन मानसिकता में उलझा हुआ है। मुसलमानों के बारे में अब ये खयाल है वो दूसरों के साथ ही अपनो में भी सिर्फ खून खराबा को बढ़ावा देने की ही क्षमता रखते हैं। आज के मुसलमान अपने शानदार अतीत की सिर्फ एक हल्की परछाई हैं। ये एक ऐसी शानदार किताब है जिसकी मदद से लोग इस्लाम को एक नई दृष्टि से देख सकेंगे। और ये किताब मुसलमानों को फिर से उसी दौर को दुहराने की याद दिलाती है कि जब मुसलमान ज्ञान के ज्ञात सभी क्षेत्रों में अग्रणी थे।