रिहायशी कॉलोनियों के बीचों बीच कबाड़ के गोदाम में लाया जा रहा कोविड से बढ़ा बायो-मेडिकल वेस्ट
- खुले में पड़ा रहता है मेडिकल वेस्ट, छटाई का काम नाबालिग बच्चों के जिम्मे
- खो नागोरियन के करीम नगर में कबाड़ी के गोदाम में रखा बायो मेडिकल वेस्ट
- मेडिकल वेस्ट एकत्र करने वाले वाहन प्लांट की बजाय कबाड़ी के यहां पहुंचा रहे हैं
जयपुर। बॉयो मेडिकल वेस्ट को फिर से आबादी के बीच लाया जा रहा है। यहीं नहीं बॉयो मेडिकल वेस्ट को खुले आसमान के नीचे रखा जाता है। जयपुर खो नागोरियन के करीम नगर में तीन शिक्षण संस्थाओं के आस पास बड़ी मात्रा में बॉयो मेडिकल वेस्ट खुले पड़ा हुआ है। इनमे कुछ मजदूर छटाई का काम करते पाये जाते हैं। करीम नगर मे आई टी आई कॉलेज के पास खाली प्लाटों में सिरिंज. दवाइयां, ब्लड, कॉटन, दस्ताने, गंदे व खन से सनी पड़ी पडी रहती है। जानकारी के अनसार अस्पताल का बायो मेडिकल वेस्ट कबाड के गोदाम में बेचा जा रहा है। इससे क्षेत्र में संक्रमण फैलने का खतरा पैदा हो गया है।
दरअसल अस्पतालों का बायो मेडिकल वेस्ट . जैविक कचरा इंसीनरेटर प्लांट पर पहंचना चाहिए लेकिन कबाट के गोदाम में ले जाकर बेच रहे हैं। यहाँ पर एक कबाड के गोदाम मालिक के बारे में पछा और बलाने का कहा तो-काम कर रहे लोग भागने लगे। अंदर जाकर देखा तो काफी मात्रा में लाल पॉलिथीन बैगों में भरा बायो मेडिकल वेस्ट तथा काली पॉलिथीन थैलियों में भरा जनरल वेस्ट रखा हुआ था इसके अलावा खुले मे पट्टियां, सिरिंज, इलाज में इस्तेमाल होने वाले छोटे-मोटे उपकरण, मास्क, फेस शील्ड, पीपीई किट्स इत्यादि पड़े थे। साथ ही कटे हुए अंग, खून, मवाद, प्रयोग की हुई रुई, गाँज प्लास्टर, मानव भरूण ,प्लास्टिक सुई व सीरिंज, ब्लेड, ट्टा हुआ कांच, आईवी सेट, राइस ट्यूब, ईटी ट्यूब, बीटी सेट एवं यूरिन बैग आपको यहाँ मिल जाएंगे।
सवाल ये उठता है की जब पूरी दुनिया कोरोना से लड़ रही है, तब ये कचरा मुस्लिम कालानिया में क्यू लाया जा रहा है। इनमें कोरोना मरीजों की पीपीई किट, उनके सैंपल, सब यहाँ मोजूद हैं, क्या ये बायो वेस्ट जान बूझ कर भेजा जा रहा है?
यह सब प्रशासन के जिम्मेदार अफसरों की अनदेखी से हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग निजी अस्पताल, नर्सिंग होम व पैथोलॉजी लैब को बायो मेडिकल वेस्ट प्रबंधन का पाठ पढ़ाया रहा है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ही काफी पीछे हैं। रिहायशी आबादी के बीच बड़ी मात्रा में सिरिंज. दवाइयां, ब्लड, कॉटन, दस्ताने, गदे व खून से सनी पट्टी को इकट्ठा जा रहा है, जो नियमों की अनदेखी को दशार्ता है।
बायोमेडिकल वेस्ट क्या है, बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स-2016 कहता है- हर वो वस्ट, जो इसानों या जानवरों के डायग्नोसिस, ट्रीटमेंट, इम्युनाइजेशन में इस्तेमाल होता है। या लैब में इस्तेमाल होता है। या टेस्टिंग में इस्तेमाल होता है। इसे और थोड़ा फैलाएं, तो अस्पताल, लैब, ब्लड बैंक और तमाम मेडिकल इंस्टीट्यूशंस से निकलने वाला सारा वेस्ट । जैसे- पट्टियां, सिरिंज, इलाज में इस्तेमाल होने वाले छोटे-मोटे उपकरण, मास्क, फेस शील्ड, पीपीई किट्स आदि।
ये सब बायोमेडिकल वेस्ट हैं। चूंकि ये सब किसी के इलाज में इस्तेमाल हुए होते हैं, तो इनसे इंफेक्शन फैलने का खतरा काफी ज्यादा होता हैलिहाजा बायोमेडिकल वेस्ट का तरीके से डिस्पोजल काफी अहम होता है। जब से दनिया में कोरोना वायरस का इंफेक्शन फैला है तब से मास्क फेय शील्ट पीपीई किटस जैसे इक्विपमेंटस का दस्तेमाल काफी बट गया है पीपीई किटस तो 'यज एंड थो' किस्म की होती हैं। नतीजाअब दनियाभर में इन बायोमेडिकल वेस्ट का एक बडा भंडार तैयार हो रहा है।
कोविड भी अब इसी में: कोविड वेस्ट (पीपीई किटस. इंफेक्टेड मास्क/शील्ड वगैरह) भी मेडिकल वेस्ट का ही हिस्सा हैं। इसी साल बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स-2016 में कोविड वेस्ट मैनेजमेंट रुल्स को भी जोड़ा गया।