शिवसेना के बाद अकाली दल ने भी छोडा एनडीए
फिलहाल मोदी सरकार को कोई खतरा नहीं
जयपुर। एनडीए में भाजपा के साथी अकाली दल अब घुटन महसूस करने लगे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार जिस नीति पर काम कर रही है, उससे भाजपा के साथी दल सहमत दिखाई नहीं दे रहे हैं। महाराष्ट्र में शिवसेना से पुराना गठबंधन था और भाजपा-शिवसेना मिलकर चनाव में जनता के बीच जाते रहे हैं। शिवसेना केन्द्र में भाजपा का समर्थन करती है लेकिन भाजपा ने महाराष्ट्र राज्य में शिवसेना का मुख्यमंत्री बनाने से साफ इंकार कर दिया। उद्धव ठाकरे ने भाजपा की दूसरे दलों को कुछ नहीं देने की नीति से नाराज होकर भाजपा का साथ छोड़ का साथ लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन गए। मोदी सरकार ने अब तीन कषि बिल संसद में पास करवा लिए लेकिन अकाली दल सहित अन्य भाजपा समर्थित दलों को विश्वास में नहीं लियाअकाली दल इन कषि बिलों को किसान विरोधी बता रहा है। पहले विरोध में अकाली दल से मंत्री हरसिमरत कौर ने कृषि राज्यमंत्री से गठबंधन से ही अकालीदल ने समर्थन वापस लेकर भाजपा से नाता तोड लिया।
अकाली दल के अध्यक्ष सखबीर से बादल ने पार्टी की कोर कमेटी की बैठक में कहा कि पहले मोदी सरकार कृषि बिलों पर हमारी बिलकल नहीं सन रही थी और अब केन्द्र के पांच पांच मंत्री इस पर बोल रहे हैं। अकाली दल का भाजपा सरकार से समर्थन लेना मोदी जा रहा है। अब नीतीश की पार्टी जेडीयू एवं पासवान की पार्टी लोकजन शक्ति पार्टी का समर्थन बचा हैबिहार विधानसभा चुनाव में पासवान से तालमेल बैठाने में भाजपा को मुश्किल आ रही है। ऐसा माना जा रहा है कि लोकजन शक्ति पार्टी भी कभी भी मोदी सरकार से अपना समर्थन वापसी का ऐलान कर सकती है। वसे मोदी सरकार का केन्द्र में अभी कोई खतरा नहीं दिखाई दे रहा है लेकिन देश की जनता में मोदी सरकार का बढ़ता विरोध आगामी चुनावों में भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है। लोकजन शक्ति पार्टी ने यदि समर्थन वापस ले लिया तो बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा सकती है।