यूनानी व आयुर्वेद के डाक्टरों को शायद नहीं है अपनी पैथी पर भरोसा
- देश भर में ऐसे डॉक्टरों के कारण मरीजों की जान मुश्किल में
- न डिग्री न अनुभव, अस्पतालों की कमी खामी से पनप रहे ऐसे क्लीनिक
- विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2016 में अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि भारत में काम करने वाले 57.3 प्रतिशत डॉक्टर झोलाछाप हैं, उनके पास मेडिकल की योग्यता नहीं है, तब तत्कालीन केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने रिपोर्ट को गलत बताया था, लेकिन अब केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय इसी रिपोर्ट को सही मान रहा है।
जयपुर। इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट 1956, दिल्ली मेडिकल काउंसिल एक्ट 1997, ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स 1945 में कहा गया है कि केवल एक रजिस्टर्ड डॉक्टर ही एलोपैथिक दवा लिख सकता है। भारतीय चिकित्सा पद्धति के लिए, भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद अधिनियम, 1970 कहता है कि भारतीय चिकित्सा पद्धति के अभ्यासी के अलावा कोई भी व्यक्ति जो किसी मान्यता प्राप्त चिकित्सा योग्यता रखता है और किसी राज्य रजिस्टर या भारतीय चिकित्सा के केंद्रीय रजिस्टर में नामांकित है, भारतीय में मेडिकल और किसी भी राज्य में मरीजों के लिए दवा लिखेगा।
इसके अलावा यदि कोई अन्य ऐसा करता पाया तो उसके लिए इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट, 1956 में कारावास की सजा का उल्लेख है जो एक वर्ष तक का हो सकता है या जुर्माना जो 1,000 रुपये तक हो सकता है या दोनों हो सकता है, दिल्ली मेडिकल काउंसिल एक्ट, 1997 के तहत क्लॉज (27) में 'कठोर दंड' का उल्लेख किया गया है। इसमें तीन साल तक की कैद या 20,000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते है। भारतीय दंड संहिता भी इन मामलों को धारा 429 (प्रतिरूपण), 420 (धोखाधड़ी) और 120 क्व (आपराधिक षड्यंत्र) के तहत देखती।
मुस्लिम बस्तियों की छोटी छोटी गलियों में, छोटी सी दुकान एक छोटी सी मेज पर रखी दवाई की शीशियां और टंगा हुआ डाक्टर साहब का बैनर। इस तस्वीर से भारत की स्वास्थ्य सेवा का अंदाजा लगा सकते हैं। जब डॉक्टर साहब का क्लीनिक ऐसा है तो उनकी डिग्री और अन्य चीजों का अंदाजा लगाया जा सकता है। यही नहीं, सरकार मुसलमानों ने भी खुद ही माना है कि देश में 57.3 प्रतिशत एलोपैथिक डाक्टर फर्जी हैं, इनके पास मेडिकल की कोई डिग्री नहीं। खो नागोरियान में निजी प्रैक्टिस कर रहे एसे ही एक झोलाछाप डा ने नाम नही? छापने कि शर्त पर बताया कि विगत 10 वर्षों से हमें किसी अधिकारी ने कुछ नहीं कहा है और न ही प्रशासन ने हम पर कोई कार्रवाई की है। उन्होंने बताया कि खो नागोरियान गांव बड़ी मस्जिद के पास स्वास्थ्य केंद्र होने के बावजूद लोग हमारे पास इलाज के लिए आते हैं।
वहीं मरीजों का कहना है कि स्वास्थ्य केन्द्र में बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं, जिससे उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इनमें से अधिकतर के पास ना तो कोई डिग्री होती है। यदि कोई डिग्रिधारी बीएएमएस या बीयूएमएस डॉक्टर भी है तो वह अपनी पेथी पर शायद भरोसा नहीं करते। क्यूंकी ये लोग मरीजों को यूनानी दवाएं नही केवल एलोपथी दवाएं देती हैं वो भी कागज़ की पुड़िया मे बिना स्ट्रिप के, जिसकी वजह से दवा के एक्सपायर होने का भी पता नही लग पाताये लोग अपने क्लिनिको में नाम के लिए एक या दो यूनानी या आयुर्वेदिक दवाएं रखते हैं और बिना ड्रग लाइसेंस के अपने क्लिनिको से मरीजों को दवाएं देते हैं।
आलम ये है की जिनकी डिग्री तक पूरी पूरी नहीं हुई है वे भी वह प्रेक्टिस कर रहे हैं। और धड़ल्ले से अपने आप को खानदानी डॉक्टर कहते हैं गौर करने लायक बात यह है कि यह धंधा केवल मुस्लिम बस्तियों में ही चल पाता है क्योंकि अन्य बस्तियों में लोग जागरूक होते हैं और इन को तवज्जो नहीं देते लेकिन मुस्लिम बस्तियों में इलाज के नाम पर ये लोग भोले भाले मुसलमानों को बेवकूफ बनाते हैं। जयपुर के खोनागोरियान इलाके में मोहल्ले में खुले एक क्लीनिक में हर दवाई मिलेगी। वो भी बिना मेडिकल स्टोर के लाइसेंस से , यहां के डॉक्टर ने हमें बताया, छोटी-मोटी बीमारियों का इलाज करता हूं। वे दवाएं ही देता हूं जिसे मरीज को कोई नुकसान न पहुंचे। उन्होंने बताया कि उनके पास बी यू एम एस डिग्री है लेकिन दवाएं सिर्फ एलोपैथी की ही देते हैं। संवाददाता द्वारा यह पूछने पर कि क्या आपको अपनी यूनानी दवाओं पर भरोसा नहीं है तो डॉक्टर हंस कर टाल देते हैं।
कुकुरमुत्ते की तरह उपज रहे झोलाछापबंगाली डॉक्टर
झोलाछाप डॉक्टरों के द्वारा किया जा रहा है गुप्त रोगों का इलाज, विभागीय अधिकारियों के हर दावे हो रहे हैं फ्लॉप
जयपुर की मुस्लिम बस्तियों व ग्रामीण इलाकों में में झोलाछाप डॉक्टरों की बाढ़ आ गई है। कम कीमत पर सभी बीमारियों के इलाज के दावे के प्रलोभन में आकर लोग शारीरिक तथा आर्थिक रूप से बर्बाद हो रहे हैं। बिना किसी मेडिकल डिग्री के यह झोलाछाप डॉक्टर धड़ल्ले से शेड्यूल एच-1 के तहत आने वाली एंटीबायोटिक दवाइयों का उपयोग करने से बाज नहीं आ रहे हैं जबकि इन दवाइयों का उपयोग रजिस्टर्ड डॉक्टरों के द्वारा ही उपयोग में लाने का है। जबकि ये झोलाछाप इस प्रकार की शेड्यूल एच-1 की दवाइयों का स्टॉक रखकर धड़ल्ले से खपाने में माहिर हैं। इन दवाइयों का उपयोग कर आम लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं और लोग सस्ते इलाज के झांसे में आकर अपनी जिंदगी दांव पर लगा रहे हैं।
गंभीर एवं गुप्त बीमारियों का शर्तिया इलाज करने का दावा करने वाले ये झोलाछाप बंगाली डॉक्टर लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ तो करते ही हैं साथ ही ठगी करने में भी बाज नहीं आते हैं। लोगों को गंभीर बीमारी का डर दिखाकर उनसे जब तक रुपए ऐंठते रहते हैं । झोलाछाप डॉक्टरों के इलाज से कई लोगों के मौत के मामले भी सामने आ चुके हैं। इन क्लीनिकों में बवासीर, हाइड्रोसील, स्वपनदोष, धात एवं गुप्त रोग स्त्री व पुरुष दोनों का इलाज इस डॉक्टर के द्वारा पूरे दावे के साथ किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार इन डॉक्टर के पास कोई भी डॉक्टरी योग्यता नहीं है फिर भी यह झोलाछाप डॉक्टर धड़ल्ले के साथ लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करते हैं। जब इन झोलाछाप बंगाली डॉक्टर से पत्रकारों ने इसके डिग्री के बारे में पूछते हैं तो वह कुछ भी नहीं बता बाते । मरीजों को किस तरह से इलाज के नाम पर लूटा जा रहा है। ये सब जानकार भी स्वास्थ्य महकमा जान कर भी अंजान बना रहता है।