अडानी लेने वाला है, आढ़तियों की जगह
किसान बिल का कानुन बनने अब जा रहा है लेकिन कार्पोरेट उसकी तैयारी बहुत पहले से ही शुरू कर चुका है, लोगो को लग रहा है कि अब किसानों का माल आढ़तिया तो खरीदेगा नहीं तो कौन खरीदेगा? सच तो यह है कि माल तो बिकेगा और आढ़तिया ही खरीदेगा पर वह अब बड़ा आढ़तिया होगा। अब वह अडानी जैसा बड़ा कार्पोरेट होगा। यानी की सबका मालिक एक होगा और वो है अडानी। अडानी किसानों से माल खरीदने की तैयारी पिछले 5 साल से कर रहा हैअडानी ने अनाज भण्डारण की जो व्यवस्था तैयार की है, उसे आप देखेंगे तो वाकई चौंक जाएंगे, अडानी ने सरकार के साथ मिलकर पीपीपी यानी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के नाम पर अनाज भंडारण के लिए बड़े बड़े स्टील के टैंक बनाए गए हैं, जिसे साइलो स्टोरेज कहते है।
साइलो स्टोरेज एक विशाल स्टील ढांचा होता है, जिसमें थोक सामग्री भंडारित की जा सकती है, इसमें कई विशाल बेलनाकार टैंक होते हैं, नमी और तापमान से अप्रभावित रहने के कारण इनमें अनाज लंबे समय तक भंडारित किया जा सकता है। साइलो के नवीनतम रूप में रेलवे साइडिंग के जरिये बड़ी मात्रा में अनाज की लोडिंग/अनलोडिंग की जा सकती है। इससे भंडारण और परिवहन में बहुत आसानी होती है और फिर सैंया कोतवाल तो किस बात का डर? 2017 में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड के तहत 100 लाख टन क्षमता के स्टील साइलो के निर्माण का लक्ष्य रखा था, लेकिन 31 मई 2019 तक सरकार पीपीपी के तहत 6.75 लाख टन क्षमता के स्टील साइलों का ही निर्माण कर पाई है, जिसमें मध्य प्रदेश में 4.5 लाख टन और पंजाब हरियाणा में 2.25 लाख टन स्टील साइलो बन पाए हैंवो भी अडानी के हैं।
दरअसल स्टील साइलो ही अनाज भंडारण का भविष्य है, एक अत्याधुनिक साइलो में रेलवे साइडिंग के जरिये बड़ी मात्रा में अनाज की लोडिंग/अनलोडिंग सबसे साइलो स्टोरेज कनाडा और संविदा के बंगाल में इस काम अडानी (एएएलएलसाथ एक हस्ताक्षर किए पंजाब के बनाए साइलो जा रहा है! पिछले वितरण विभाग सोलूमाजरा निरीक्षण किया इन साइलोज भंडारण की वर्तमान में भंडारण किया अधिकारियों किसानों को इन साइलोज दादी बेटे दादी बेटे लोडिंग/अनलोडिंग की जा सकती है। सबसे पहले दुनिया मे कनाडा में साइलो स्टोरेज बनाए गए थे, भारत में कनाडा और भारत सरकारों के बीच हुई संविदा के तहत पंजाब, गुजरात व पश्चिम बंगाल में साइलो स्टोरेज बनाए जा रहे हैं। इस काम में अडानी ने बाजी मार ली है, अडानी एग्रो लॉजिस्टिक लिमिटेड (एएएलएल) ने भारतीय खाद्य निगम के साथ एक विशेष सेवा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, अडानी के सहयोग से पंजाब के मोगा और हरियाणा के कैथल में बनाए साइलो बेस में अनाज भंडारण किया जा रहा है! पिछले साल खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव रविकांत ने सोलूमाजरा स्थित अडानी एग्रो साइलो का निरीक्षण किया था, कैथल जिले में स्थित इन साइलोज में दो लाख टन गेहूं के भंडारण की सुरक्षित रखने की क्षमता है। वर्तमान में एक लाख 60 हजार टन गेहूं का भंडारण किया हुआ है। उन्होंने वहाँ अधिकारियों से आह्वान किया कि वे किसानों को प्रेरित करें कि वे अपनी गेहूं को इन साइलोज में बिक्री के लिए लेकर आएं। उन्होंने कहा कि यहां किसानों को उनकी फसल की अदायगी आढ़ती के माध्यम से आनलाइन की जाती है। माना जा रहा है कि अडानी ने देश भर में ऐसे सात बेस और फील्ड डिपो स्थापित करने जा रहा हैं, अडानी समूह में तीन-तीन मुख्य कृषि से जुड़ी कम्पनियां खड़ी की हैं ये है, अदानी विल्मर लिमिटेड (एडब्लूएल), अदानी एग्रो लॉजिस्टिक लिमिटेड (एएएलएल) और अदानी एग्रो फ्रेश लिमिटेड (एएएफएल), अडानी एग्रो लॉजिस्टिक्स खाद्यान्न के लिए एक एकीकृत थोक हैंडलिंग, भंडारण और रसद प्रणाली हैयह भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को सहज एंड-टू-एंड थोक आपूर्ति श्रृंखला प्रदान करता है। कंपनी के पास 13 अत्याधुनिक साइलो हैं और इसके अलावा प्रमुख शहरों में इसकी अपनी रेल रेक और टर्मिनल भी हैं। यानी साफ दिख रहा है कि अब छोटे गल्ला व्यापारियों की भूमिका समाप्त होने जा रही है और बड़े कारपोरेट जैसे अडानी-अंबानी का खेल शुरू हो चुका है। पूरे देश में 42,000 मंडियां है और औसतन एक मंडी में 250 आढ़तिये होते हैं, मतलब लगभग 10 लाख आढतिये अब घर बैठने की तैयारी में है क्योंकि खरीद मंडी के बाहर होनी है, मंडी में तो मंडी टैक्स की अदायगी भी होती है तो मंडी जायेगा कौन?
-बी.एल. वैष्णव