बॉलीवुड हीरो-हीरोइन महंगा नशा करते हैं?
- सभी तरफ बॉलीवुड में नशाखोरी की चर्चा
- शराबी एवं गुटके-बीड़ी-सिगरेट पीने वालों की कोई चर्चा नहीं जबकि लॉकडाउन में सबसे ज्यादा कानून का उल्लंघन इन्होंने ही किया
- बॉलीवुड के पैसे की तरफ सब भाग रहे हैं चाहे मीडिया हो, राजनीतिज्ञ हो या फिर सरकारी एजेंसी
- जबकि नशा तो नशा होता है महंगा हो या सस्ता
एम. खान जयपुर। सुशांत सिंह सुसाइड केस के बाद बॉलीवुड में महंगे नशे एवं ड्रग माफिया के पसरते जाल की चर्चा आजकल चारों तरफ हो रही है। मीडिया, राजनीति एवं जांच एजेंसिया ऐसा दिखा रहे हैं कि इस देश में बॉलीवुड के अलावा कुछ नहीं है और भारत देश सिर्फ बॉलीवुड के हीरोहीरोइन चलाते हैं। देश में नशा करने वालों की संख्या लाखों में है लेकिन ऐसा दिखाया जा रहा है कि हीरो-हीरोइन का यह कारनामा सबसे अलग है। कई चैनल तो सुशांत सिंह राजपूत सुसाइड केस, कंगना रानोत एवं बॉलीवुड में ड्रग माफिया पर ही ज्यादातर समय खराब करते हैं। यह चैनल देश के युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी, देश में व्याप्त भ्रष्टाचार, महिलाओं के बलात्कार एवं कमजोर वर्ग पर हो रहे अत्याचार पर कोई प्रोग्राम नहीं दिखाते हैं। बॉलीवुड में अफीम, स्मैक एवं चरस जैसी महंगी ड्रग का इस्तेमाल होता है। सरकारें, राजनैतिक पार्टियां एवं सरकारी जांच एजेंसियां सभी का ध्यान बॉलीवुड की तरफ है । मनोरंजन की इस इंडस्ट्री की तरफ यह सभी ऐसे ही नहीं भाग रहे हैं, इसके पीछे बॉलीवुड के हीरोहीरोइन का धनवान होना और उनके खर्चे की आदत के चलते हो रहा है। सभी की नजर उनके पैसे पर लगी है। नेता, ड्रग माफिया एवं एजेंसियां बॉलीवुड के पैसे को किसी न किसी रास्ते हड़पना चाहते हैं। जबकि नशा तो नशा है चाहे महंगा हो या सस्ता। जब सरकार नशा स्वयं बेच रही या बेचने का लाइसेंस दे रही है तो नशा करने वाला अपराधी कैसे माना जाएगा। सरकार शराब के ठेके का लाइसेंस देती है, अफीम की खेती का लाइसेंस देती है, गांजा सरकार बिकवाती है, तो नशा अवैध कैसे हुआ। सरकार ने अपने नागरिकों को बीमार करने, कमजोर करने के सभी तरीके अपना रखे हैं तो दोषी दूसरा कौन है।
लॉकडाउन में बीड़ी, सिगरेट, गुटखा, शराब आदि खाने पीने वालों ने सभी सरकारी नियम कायदे ताक पर रखकर, कोरोना वायरस से बिना डरे नशा किया और इसके लिए उन्होंने पांच रुपए कीमत के बजाय 50-100 रुपए तक खर्च किए। 20 रुपए का बीड़ी का बंडल 100 रुपए में, पांच रुपए का गुटका 50 रुपए में बिका। महंगी अवैध शराब पीने वाले सभी को उपलब्ध हुईयह संस्था नशा करने वालों ने सरकार के बनाए गए किसी कायदे कानून की चिंता नहीं की और खुलकर कानून की की धज्जियां उड़ाई। नशा नशा ही होता है चाहे महंगा हो या सस्ता नुकसान भी नशा करने शेष पृष्ठ एक वाले को बराबर होता है। गुर्दे, दिल, टीबी, कैंसर एवं खांसी जैसी बीमारी हर नशे से होती है। सरकार यदि अपने नागरिकों की थोड़ी बहुत चिंता करती है तो देश को नशा मुक्त घोषित करना चाहिएदेश यदि नशा मुक्त होगा तो देश का नागरिक हष्ट-पुष्ट होगा और देश तेजी से विकास करेगाप्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से आशा की जा रही थी, क्योंकि मोदी हिन्दू संस्कृति के रखवाले संगठन आरएसएस के सदस्य हैं और वे देश को नशे से मुक्ति दिलाएंगे। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। .