दिग्गज नेता, केंद्रीय मंत्री और 9 बार के सांसद काजी रशीद मसूद नहीं रहे


              जयपुर। दिग्गज राजनेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रशीद मसूद का निधन हो गया है। नौ बार सांसद रह चुके मसूद कोरोना का भी शिकार हुए थे। हालांकि कोरोना जंग उन्होंने जीत ली थी। रुड़की के एक अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। लंबे समय तक सहारनपुर वेस्ट यूपी की राजनीतिक धुरी रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री काजी रशीद मसूद को 2 दिन पहले उनके भतीजे के अस्पताल में रुडकी भर्ती कराया गया था। जैसे ही उनकी निधन की खबर समर्थकों तक पहुंची तो शोक की लहर दौड़ गई। 9 बार के सांसद रहे काजी रशीद मसूद का सियासी सफर गंगोह से शुरू होकर संसद भवन तक पहुंचा था। केंद्र में स्वास्थ्य मंत्री रहे काजी रशीद मसूद को सहारनपुर समेत पूरे वेस्ट यूपी में राजनीतिक धुरी माना जाता था। 27 अगस्त को काजी रशीद मसूद कोरोना की चपेट में आ थे। उन्हें दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। जहां से वे कोरोना को मात देकर सहारनपुर लौट आये थे। परिजनों के मुताबिक, दो दिन पहले शनिवार को उनकी तबियत एक बार फिर खराब हो गई, जिसके बाद उन्हें रुड़की स्थित भतीजे के हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था।


                   जहाँ पर सोमवार को 10.40 बजे उनका निधन हो गया। काजी रशीद मसद के निधन की सूचना जैसे ही सहारनपुर पहुंची तो समर्थकों में शोक की लहर दौड़ गई। उधर, गंगोह स्थित पैतृक आवास पर भी लोगो की भीड़ जुटनी शुरू हो गईकाजी केंद्रीय मंत्री और रशीद मसूद के भतीजे इमरान मसूद ने बताया कि आज शाम पांच बजे काजी रशीद मसूद को कस्बा गांगोह में ही सुपुर्दे खाक किया जाएगा। 1977 में शुरू की थी सियासत: रशीद मसूद पांच बार लोकसभा सदस्य होने के साथ ही चार बार राज्यसभा के लिए भी निर्वाचित हुए। 2012 में यूपी विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस ने उन्हें राज्यसभा भेजा। साथ ही केंद्रीय मंत्री का दर्जा देते हए एपीडा का चेयरमैन बनाया था। उन्होंने पहला लोकसभा चुनाव इमरजेंसी के तुरंत बाद 1977 में लड़ा थावह जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे और जीत हासिल की। वीपी सिंह से मुलायम तक सबके साथी: इसके बाद वह जनता पार्टी (सेक्युलर) में शामिल हो गए। 1989 का चुनाव उन्होंने जनता दल से लडा और फिर जीत दर्ज की। इस दौरान वह 1990 और 91 में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री भी रहे। 1994 में वह मुलायम के करीब आए और समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। बाद में 1996 में उन्होंने इंडियन एकता पार्टी बनाई। 2003 में एक बार फिर समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया। 2004 में उन्होंने एसपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा और जीते।


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