हिन्दु शासकों ने भी मंदिर तोड़े एवं लूटे


                   हिन्दुस्तान में हमेशा मंदिर विध्वंस और लूट के लिए और हिन्दुओं के दयनीय हालत के लिये मुस्लिम शासकों को जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है। मुस्लिम शासकों के जुल्म को इस तरह बताया जाता है के इस से बड़ा जुल्म दुनिया मे कही नही हुआ है। हम सभी जानते है के जनता के बिना सहयोग से कोई हुकूमत कर ही नही सकता। अगर मुस्लिम शासक इतने क्रूर और जालिम होते तो 1000 साल तक हुकूमत नही करते । जैसा के हम सभी जानते है के अंग्रेजों ने अपने हुकूमत काल में बांटो और हुकूमत करो की पॉलिसी अपनाते हुए उन्होने हिन्दू और मुसलमान के बीच मतभेद पैदा करने के लिए बहुत से कदम उठाये उसमें से इतिहास को बदलना एक कदम था, और मुस्लिम शासक को बदनाम कर हिन्दू मुसलमान को आपस में लड़ाना था। हुकूमत किसी की भी हो हर बादशाह सिर्फ अपना फायदा देखता है और गद्दी बचाने के लिये कुछ भी करता है। मुसलमानो पर मंदिर तोड़ने और लूटने का इल्जाम लगाया जाता है,पर यह कहना के मंदिर को सिर्फ धार्मिक कारण से तोडा गया कहना गलत होगा।


                    इस बात से कोई इनकार नहीं कि मंदिर तोड़ने मे धार्मिक कारण नही है मगर उस से भी ज्यादा मंदिर में अकूत धन-संपत्ती इस का मुख्य कारण है। उस समय भारत के मंदिरो मे अपार धन-संपत्ती होती थी बल्कि यूं कहे के उस समय मंदिरो के पुरोहित या ब्राह्मण शक्तिशाली होते थे, हिन्दू राजा और महाराजा को भी इन के अधीन ही रहना पड़ता था। उन्हें मंदिरों को दान देना पड़ता था और साथ ही जनता को भी मंदिरो मे चढ़ावा करना पड़ता था। आप देखिये के केरला के श्री पद्मणेश्वर मंदिर से 120000 करोड का धन और संपत्ती है हम सभी जानते है के भारत के मंदिरो मे कितने संपत्ती है. भारत पर जो इतने आक्रमण हुए उस का मुख्य कारण मंदिर ही थे। जैसा कहा जाता है के मुस्लिम राजाओं ने यहां आक्रमण किया तो उनमें से सब ही भारत मे इस्लाम फैलाने या प्रचार करने नही आय थे, कुछ यहा सिर्फ दौलत के लालच मे आते था और मंदिरो को लुट कर चले जाते थे, वो छोटे-छोटे मंदिरो को नहीं लूटते थे केवल बड़े और मालदार मंदिरों को निशाना बनाते थे। इस लेख में हम ये बताना चाहता है के मंदिरो को सिर्फ मुसलमानो ने ही नही बल्के हिन्दू राजाओ ने भी बहुत से मंदिर लुटे व तोड़े। 642 मे पल्लव राजा नरसिंह वेर्मन ने चालुक्यो की राजधानी वातापि मे गणेश के मंदिर को लूटा और उस के बाद तोड दिया। आठवी सदी मे बंगाली सैनिको ने विष्णु मंदिर को तोडा । 9 वी सदी मे पॅडियीयन राजा सरीमारा सरीवल्लभ ने लंका पर आकार्मण कर वहा सभी मंदिरो को नष्ट कर दिया। 11 वी सदी मे चोला राजा ने अपने पड़ोसी चालुक्या, कालिंग,और पाला राजाओ से मूर्तिया छीन कर लाकर अपने राजधानी मे स्थापित किया। 11 वी सदी के मध्य मे राजाधिराजा ने चालुक्या को हराया और शाही मंदिरो को लुट कर विनाश कर दिया। 10 वी शताब्दी मे राष्टकूट राजा इंद्रा-3 ने जमुना नदी के पास कल्पा में कलाप्रिया का मंदिर को नष्ट कर दिया। कश्मीर के लोहारा राजवंश का आखिरी राजा हर्षा ( 10891101) काल मे उस ने कश्मीर के सभी मंदिरो को नष्ट करने और लूट लेने का हुक्म दिया था। बताया जाता है कि उस समय सभी मंदिरों को लूटकर मंदिरों की मूर्ति जो सोने की थी उसे पिघला कर पूरी दौलत उस ने अपने पस रख ली थी। मारेटो ने जब टीपू सुल्तान पे हमला किया तो श्रिगॅपॅटनम के मंदिर को भी तोड दिया। पुष्पमित्र जो शुंग शासक और वैदिक धर्म का शंस्थापक था। गद्दी पर बैठते ही उस ने सभी बौध मंदिरो को तोड़ने का आदेश दे दिया। उस ने ये भी एलान कर दिया के जो भी एक बौध बिक्षू का सिर काट कर लाएंगे उसे एक सोने का सिक्का दिया जाएगा। लाखों बौद्ध भिक्षुओं को मार दिया गया। पुष्पमित्र ने उस पेड़ को भी काट दिया जिस के नीचे महात्मा बौध को ज्ञान प्राप्त हुआ था । बौध बिक्षू अपना जान बचा कर मुल्क से पलायन करने लगे और वो जापान, थाइलैंड, सिंगापुर की तरफ भागे। इतिहासकारों का कहना है के राजा पुषपमित्र समय बौद्धों का लगभग खात्मा ही हो गया था। जैसा कहा जाता है के मुस्लिम हुक्मरानों के दौर मे हिन्दुओ की हालत दयनीय थी तो ये क्यो भूल जाते है के पंजाब, मराठा, जाट के हुकूमत मे मुसलमानो की हालत भी बहुत खराब थी। कुछ लोगों का कहना है के हिन्दुओ ने मस्जिद को नही लुटा , इन को मालूम होना चाहिये के दुनिया के किसी भी मस्जिद मे एक रुपया नही होता, सिर्फ नमाज़ पढ़ने के लिये चटाई होती है. मंदिर की तरफ आक्रमणकारी सिर्फ दौलत के लिये आकर्षित होते थे। ऊपर दिए कुछ मिसाल से साबित होता है के हिन्दू राजाओ ने भी दौलत के लिये मंदिर को लूटा। आज अगर केरला के मंदिर का दौलत जो 12000-30000 करोड़ से अधिक है अगर सरकार अपने अधीन कर लेती है तो उसे आप क्या कहेंगे?


मूल लेखक : अफजल खान


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