पीडित दलित बेटी के आरोपियों को बचाने के प्रयास कर रही है उत्तर प्रदेश सरकार



  • दलित बेटी मनीषा के मृत शरीर को देर रात जला दिया गया

  • हिन्दू धर्म में रात में नहीं की जाती है अंत्येष्टि

  • प्रशासन आरोपियों को बचाने के लिए कर रहा कानूनों की तोड़-मरोड़

  • हाथरस में उच्च वर्ग एवं दलित वर्ग में बंटवारा साफ दिखाई दे रहा है

  • मीडिया को सही तथ्यों से रखा जा रहा दूर


                              जयपुर। उत्तर प्रदेश में नियम कायदों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। सरकारी संरक्षण में दलित बेटी से बलात्कार करने वाले, उसकी रीढ़ की हड्डी तोड़ने वाले और जीभ काटने वालों को पूरी तरह बचाने के लिए षड्यंत्र किया जा रहा है। बलात्कार पीड़ित दलित बेटी मनीषा के मृत शरीर का पुलिस प्रशासन एवं डीएम की देखरेख में रात के वक्त जलाकर सबूतों को छुपाने की कोशिश की गई। जबकि हिन्दू धर्म के अनुसार कंवारी लड़की के शरीर को रात में और बिना परिजन के नहीं जलाया जा सकता है। भाजपा की पूर्व मंत्री उमा भारती ने भी इस मामले को लेकर योगी सरकार की आलोचना की और रामराज का दम भरने वालों को और रामराज का दम चेताया। डीएम और पुलिस अधिकारियों ने पीड़ित परिवार वालों को धमकाया और उनके फोन छीन लिए और मीडिया से दूर रहने के लिए प्रदेश सरकार हिदायत दी।


                   मीडिया को सही तथ्यों तक पहुंचने से रोकने के लिए प्रशासन ने पीडिता के परिवार वालों से नहीं मिलने दिया। लेकिन मीडिया ने हार नहीं मानी और पीडित परिवार से भी मिली और प्रशासन और योगी सरकार की लीपापोती करने वाली कार्यवाही का भी पर्दाफाश किया। दूसरी तरफ पीड़ित मृतका की मेडिकल रिपोर्ट और घटना के तथ्यों को प्रशासन ने सरकार की मंशा के अनुसार बदला है। आरोपी उच्च जाति वर्ग के हैं और पीड़िता दलित वर्ग की है यही कारण है कि सरकार आरोपियों को बचाने के लिए कानून की धज्जियां उड़ा रही हैं। उधर हाथरस क्षेत्र एवं पीड़िता के गांव में उच्च वर्ग एवं दलित वर्ग की जातियों में साफ बंटवारा दिखाई दे रहा है। उच्च वर्ग की जातियों का योगी सरकार पर आरोपियों को बचाने का दबाव हैं तो दूसरी तरफ दलित वर्ग एवं विपक्ष आरोपियों को फांसी देने के लिए आन्दोलन चला रहा है।


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