जयपुर के मुस्लिम बाहुल्य वार्ड से भाजपा का उम्मीदवार जीतना आश्चर्य की बात है
- वार्ड 88 से रईस कुरैशी पार्षद चुनाव जीते
- रईस कुरैशी ने भाजपा के टिकिट पर चुनाव लड़ा था
- रईस कुरैशी जयपुर के दोनों नगर निगमों में एकमात्र मुस्लिम पार्षद हैं
जयपुर। जयपुर के मुस्लिम बाहुल्य वार्ड में भाजपा का उम्मीदवार जीतना आसान नहीं है। लेकिन जयपुर नगर निगम हेरिटेज वार्ड 88 से भाजपा पार्षद उम्मीदवार रईस कुरैशी ने भाजपा के टिकिट पर चुनाव जीतकर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। क्योंकि मुस्लिमों को कांग्रेस के परम्परागत वोटर माना जाता है। मुस्लिम बाहुलय क्षेत्रों में विकास कार्य करवाएं जाए या नहीं फिर भी समुदाय के वोट चुनाव में कांग्रेस पार्टी उम्मीदवार को जाते हैं। लेकिन भाजपा उम्मीदवार रईस कुरैशी के लॉकडाउन में किए सामाजिक कार्य जिनमें घर घर में राशन पहुंचाना एवं कोरोनाकाल में बड़ी संख्या में मैयतों (जनाजा) को कब्रिस्तान में दफनाना मुख्य है। कांग्रेस की सोच पर भारी पड़ा। वार्ड के लोगों का भी कहना था कि हम भाजपा को वोट नहीं दे रहे हैं हम तो रईस भाई के द्वारा की गई खिदमतों को वोट दे रहे हैं। दूसरा कारण यह माना जा रहा है कि लॉकडाउन के समय आदर्श नगर विधायक रफीक खान यहां बिल्कुल निष्क्रिय बने रहे और उनके तकव्वर ने आम लोगों को उनके नजदीक आने नहीं दिया।
भाजपा पार्षद रईस कुरैशी ने विधायक पर आरोप लगाया है कि पूरे लॉकडाउन के दौरान वार्ड 88 की अमृतपुरी व आसपास की कॉलोनियों में काँग्रेस विधायक ने दौरा नहीं किया ना ही कोई राशन वितरण किया। बीजेपी के रईस कुरैशी ने अपने साथियों के सहयोग से और अपने निजी खर्चे से राशन वितरण का कार्य किया। पार्षद रईस के अनुसार वार्ड के लोग क्षेत्रीय विधायक रफीक खान से काफी नाराज बताए जाते हैं। इसीलिए कांग्रेस प्रत्याशी को लोगों ने सिरे से खारिज कर दिया रईस बताते हैं कि कांग्रेस विधायक चुनाव प्रचार के दौरान कहते थे कि मेरा कद और पद इतना बड़ा है कि जिस प्रत्याशी पर हाथ रख दूंगा वह जीतकर आ जाएगा शायद यही अति आत्मविश्वास उनके प्रत्याशी की हार का कारण बनाकांग्रेस के प्रत्याशी व विधायक वार्ड चुनाव के दौरान भी केंद्रीय मुद्दे जैसे सीएए, एनआरसी व ट्रिपल तलाक का जिक्र करके स्थानीय समस्याओं पर पर्दा डालने की कोशिश करते रहे। लेकिन जनता बातों में नहीं आई उन्होंने केवल विकास करने वाले व्यक्ति को चुना। रईस अपनी जीत का आधार लॉक डाउन के दौरान वे उससे पूर्व किए गए कार्यों को बताते हैं।
उन्होंने एक-एक घर का दरवाजा खटखटा कर राशन पहुंचाया है साथ ही लॉक डाउन के दौरान 221 लोगों को उन्होंने उस समय अपने निजी खर्चे से खुद जाकर दफनाया जब परिजन शव को हाथ लगाने से भी डर रहे थे। रईस के अनुसार उनके सामने चुनौतियों के रूप में वार्ड में सामुदायिक केंद्र का निर्माण, सरकारी डिस्पेंसरी, सीवर कार्य सड़क निर्माण, व बस्ती के पट्टों का नियमन करवाना उनकी प्राथमिकता रहेगी। रईस कुरैशी बताते हैं कांग्रेस के गढ़ और मुस्लिम इलाके में बीजेपी प्रत्याशी का जीतना का अर्थ है कि अब मुस्लिम अपने वोट का अधिकार जान चुका है यदि उसके साथ पार्टी न्याय नहीं करेगी तो वह अपना वोट बदल भी सकता है। कांग्रेस पार्टी को वार्ड 88 हेरिटेज से सबक सीखना चाहिए कि यदि जनता की मूलभूत समस्याओं पर पर्दा डालने की कोशिश करेंगे और ये समझेंगे कि मुस्लिम का वोट केवल कांग्रेस कोई मिलना है तो उनके लिए बड़ी भूल साबित हो सकती है।