ख्वाजा साहब दरगाह में आने वाले जायरीन को सहूलियते देना ही मकसद
रिटायर आईएएस अशफाक हुसैन ने दरगाह कमेटी के नाज़िम का पद संभाला, खादिम समुदाय के साथ भी बेहतर तालमेल
जयपुर। रिटायर आईएएस अशफाक हुसैन ने 12 नवम्बर बरोज जुमेरात को अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह की प्रबंध कमेटी के नाज़िम का पद संभाल लिया हैपद संभालने के बाद हुसैन ने कहा कि मेरा मकसद दरगाह में आने वाले जायरीन को अधिक से अधिक सहूलियतें उपलब्ध करवाना है। वे स्वयं अजमेर में वर्षों तक प्रशासनिक पदों पर रहे तथा नाजिम के पद पर भी दो बार काम किया,इसलिए उन्हें जायरीन की तकलीफों के बारे में पता हैचूंकि दरगाह कमेटी केन्द्र सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधीन काम करती है, इसलिए उनका प्रयास होगा कि केन्द्र सरकार द्वारा अजमेर के बनाई गई स्मार्ट सिटी योजना का लाभ भी दरगाह क्षेत्र को मिले। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर ही अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने का काम हो रहा है। उन्होंने कहा कि ख्वाजा साहब की दरगाह होने की वजह से ही अजमेर में देश-विदेश से पर्यटक-जायरीन आते हैं। धार्मिक स्थल होने के कारण ही अजमेर का अंतर्राष्ट्रीय महत्व भी है। उन्होंने माना कि दरगाह क्षेत्र के विकास में स्थानीय लोगों का सहयोग भी जरूरी है।
खादिमों से बेहतर तालमेलः अशफाक हुसैन ने कहा कि उनका प्रयास होगा दरगाह कमेटी और खादिम समुदाय के बीच भी बेहतर तालमेल हो। दरगाह की धार्मिक परंपराओं और रस्मों को निभाने में खादिम समुदाय की ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है। दरगाह कमेटी खादिमों का सहयोग लेकर ही विकास के काम करवाएगी। यहां यह उल्लेखनीय है कि अशफाक हुसैन तीसरे बार दरगाह कमेटी के नाजिम बने हैं।
पूर्व में प्रशासनिक सेवा में रहते हुए उन्होंने नाज़िम का पद संभाला था। लेकिन इस बार प्रशासनिक सेवा से रिटायर होने के बाद नाजिम के पद पर नियुक्ति मिली है। हुसैन का पूरा परिवार प्रशासनिक सेवाओं में रहा है। कई रिश्तेदार आईएएस और आईपीएस रहे हैं। मौजूदा समय में भी हुसैन की पुत्री आईआरएस सेवा में है। हुसैन के भतीजे शाहीन अली राजस्थान आरएएस एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं। हुसैन के परिवार का राजनीति में भी दखल है।