राजनैतिक भविष्य खतरे की आशंका से विधायक रफीक खान और अमीन कागजी ने नहीं बनने दिया मुस्लिम महापौर

                     



  • डॉ. महेश जोशी एवं प्रतापसिंह ने कोशिश की थी मुस्लिम महापौर बनाने की

  •  जयपुर का मुस्लिम समुदाय दोनों मुस्लिम विधायकों से बेहद नाराज दिखाई दे रहा है

  •  हेरिटेज नगर निगम के मुस्लिम पार्षदों ने मुस्लिम महापौर बनाने की मांग उठाई थी लेकिन दोनों विधायकों ने उस आवाज को दबा दिया


       कार्यालय संवाददाता


     जयपुर। जयपुर नगर निगम हेरिटेज का मुस्लिम महापौर बनने की आशंका से आदर्श नगर विधायक रफीक खान और किशनपोल विधायक अमीन कागजी अपने राजनैतिक भविष्य के प्रति खौफजदा नजर आए। अपना राजनैतिक भविष्य सुरक्षित करने के लिए दोनों विधायकों ने जयपुर के मुस्लिम समुदाय के भविष्य को ही दाव पर लगा दिया। विधायक रफीक खान ने आदर्श नगर के वार्डों के पार्षदों का और विधायक अमीन कागजी ने किशनपोल के वार्डो के पार्षदों. महापौर बनने दिया और न ही उपमहापौर बनने दिया। जयपर के इन दोनों ही विधायकों ने अपना राजनैतिक भविष्य कितना सरक्षित किया है यह तो भविष्य में जयपर का मस्लिम समदाय निर्धारित करेगा लेकिन यह सच है कि दोनों ही विधायकों ने मस्लिम समदाय के भविष्य से खिलवाड जरूर किया है।


     महापौर के चुनाव के दौरान सूचना मिल रही थी कि कांग्रेस पार्टी और सरकारी मुख्य सचेतक डॉ. महेश जोशी एवं राजस्थान सरकार में केबीनेट मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास जयपुर के हेरिटेज निगम का महापौर किसी मुस्लिम को नहीं बनाना चाहते। इसी को लेकर जयपुर के मुस्लिम सामाजिक संगठनों ने कांग्रेस और उसके विधायकों के विरोध में आन्दोलन शरु कर दिया। कांग्रेस से जयपर का मस्लिम समदाय काफी नाराज हो गया। जब धीरे धीरे सचनाएं बाहर आने लगी तो पता लगा कि कांग्रेस पार्टी एवं विधायक डॉ. महेश जोशी और प्रतापसिंह भी मस्लिम महापौर बनाने के लिए सहमत नजर आए। कछ निर्दलीय मस्लिम पार्षदों एवं कछ कांग्रेस पार्षदों ने भी मस्लिम महापौर बनाने के लिए आवाज उठाई। ऐसे पार्षदों में पप्पू कुरैशी के भाई हाजी अहसान अली, जाहिद निर्वाण, नवाब अली, मोहम्मद जकारिया उर्फ शेरम, कांग्रेसी पार्षद पति हाजी लतीफ, राबिया गुडऐज एवं वार्ड 64 की पार्षद नसरीन बानो मुख्य हैं।


     मुस्लिम पार्षद और जयपुर की आवाम की आवाज को दोनों ही विधायकों ने अपने वीटो पॉवर का इस्तेमाल करके दबा दिया। यह स्पष्ट हो गया है कि आदर्श नगर से निर्दलीय पार्षद राबिया गुडऐज (वार्ड नं. 79) और किशनपोल विधानसभा से कांग्रेस पार्षद नसरीन बानो (वार्ड नं. 64) का नाम महापौर पद के लिए चला था लेकिन दोनों विधायकों को डर था कि यदि महापौर ने अच्छा काम किया तो कांग्रेस पार्टी आगामी चुनाव में कहीं महापौर को ही विधायक प्रत्याशी बना सकती है। इसी डर ने दोनों मुस्लिम विधायकों को अडियल बना दिया और जयपुर नगर निगम हेरिटेज को पहला मुस्लिम महापौर नहीं मिल पाया। विधायकों क्योंकि राजनैतिक परिवार जयपुर रूप नसरीन अध्यक्ष कांग्रेसी रऊफ विधायक विधायकों का डर सही भी हो सकता था क्योंकि राबिया गुडऐज एक बड़े राजनैतिक परिवार से आती हैं। गुडऐज परिवार से मरहूम सईद खां गुडऐज जयपुर लोकसभा में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ चुके हैं। इसी तरह नसरीन बानो जौहरी बाजार ब्लॉक अध्यक्ष अब्दुल रऊफ के बेटे युवा कांग्रेसी गजनफर की बीवी है। अब्दुल रऊफ किशनपोल विधानसभा से विधायक का टिकिट कांग्रेस से मांगते रहे हैं। इसी तरह वार्ड 86 से सीनियर पार्षद उमरदराज का कहना है कि मुझे विधायक रफीक खान ने उपमहापौर नहीं बनने दिया। उमरदराज का यह भी कहना है कि विधायक रफीक खान ने मुझे उपमहापौर बनने से रोकने के लिए खुला विरोध किया। इसी तरह आयशा सिहकी जो सीनियर पार्षद है को भी किशनपोल विधायक ने सफाई से नजरअंदाज किया। ऐसी स्थिति में हवामहल के विधायक डॉ. महेश जोशी ने हवामहल विधानसभा क्षेत्र के वार्ड नं. 29 से जीतकर आए असलम फारूकी को उप महापौर बनवाया क्योंकि प्रतापसिंह खाचरियापास के विधानसभा क्षेत्र सिविल लाइन से मनेश गर्जर को पहले ही महापौर बनवाया जा चका था।


     महापौर और उपमहापौर चनाव में हुई उठापठक और राजनीतिक घटनाक्रम का खुलासा होने के बाद जयपुर के मुस्लिम आवाम की सोच बदली है। विधायक रफीक खान एवं अमीन कागजी की सोच पर समुदाय में चर्चा जारी है। यदि विधायकों की यही सोच रही तो यहां से कोई अच्छा नेता समाजसेवी या अन्य कोई पैदा ही नहीं हो पाएंगे। हालांकि ऐसी सोच का जवाब जयपुर की आवाम ने 8 मुस्लिम निर्दलीय पार्षद जिताकर देने की कोशिश की है। फिर भी इस तरह की राजनीति कोई विधायक एवं जनप्रतिनिधि कर रहा है जो केवल यह चाहे कि उसकी बराबरी में कोई दसरा नहीं आ पाए तो क्षेत्र और क्षेत्र की जनता के लिए बडी खतरनाक बात मानी जाएंगी। ऐसे जनप्रतिनिधि क्षेत्र में शिक्षा एवं विकास के लिए ज्यादा काम नहीं करवा सकते। क्योंकि शिक्षा समाज में बदलाव लाती हैं और इनको बदलाव चाहिए नहीं


Popular posts from this blog

इस्लामिक तारीख़ के नायक : पहले खलीफा हज़रत अबू बकर सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु अन्हु

दुआ के कबूल होने का वक्त और जगह

तिजारत में बरकत है